प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित – “कविता  – हमारा देश..। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे.।) 

☆ काव्य धारा # 224

☆ शिक्षाप्रद बाल गीत – हमारा देश…  ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

जग के सब देशों से न्यारा प्यारा भारत देश हमारा

अपने में अपने ढंग का है इसका हर एक अंचल प्यारा

*

उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम दूर-दूर इसकी सीमायें

प्रकृति प्रेम करती है इससे हरती सब संकट

*

पर्वतराज हिमाचल रक्षक सागर करते हैं रखवाली

नियमित सब ऋतुएँ आकर के भर जाती हम सबकी थाली

*

खेतों में कई अन्न उपजते, कई सरस फल मीठे होते

सघन वनों में वृक्ष अनेको शहद-चिरोंजी, जिनसे सजते

*

नदियाँ देती जल अमृत सा, खदानें देती संपत्ति सोना

सुन्दरता से आकर्षक है इसका हरा-भरा हर कोना

*

हमें गर्व इस सुखद देश पर, सत्य प्रेम के हम अनुचर

ईश्वर नित्य सुबुद्धि हमें दें, बनें देशहित हम सब रहबर।

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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