सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम रचना – नवगीत – प्रभु श्री राम जी की महिमा…

? रचना संसार # 7 – नवगीत – प्रभु श्री राम जी की महिमा…  ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’ ? ?

राम तुम्हारी महिमा सारे,

जग ने देखो गाई है।

राम कथा लिखकर तुलसी ने,

जन -जन में पहुँचाई है।।

 *

अवतारे हैं राम अवध में,

देव पुष्प बरसाते हैं।

ढोल नगाड़े घर -घर बजते ,

ऋषि मुनि भी हर्षाते हैं।।

ऋषि वशिष्ठ से शिक्षा पाकर,

प्रेमिल -गंग बहाई है।

 *

उनकी पत्नी भी जगजननी ,

जनक दुलारी सीता थीं।

तीन लोक में यश था उनका

देवी परम पुनीता थीं।

राज-तिलक की शुभ बेला पर

दुख की बदरी छाई है।

 *

कुटिल मंथरा की चालों से,

राम बने वनवासी थे।

लखन जानकी संग चले वन,

क्षुब्ध सभीपुरवासी थे।।

चौदह साल रहे प्रभु वन में,

कैसी विपदा आई है।

 *

सीता हरण किया रावण ने,

वह तो अत्याचारी था।

गर्व राम ने उसका तोड़ा,

जग सारा आभारी था।

वापस लेकर सीता आये,

बजी अवध शहनाई है।।

 

© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)

संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268

ई मेल नं- [email protected], [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈

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