श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है एक पूर्णिका – बस एक इम्तिहान काफी है… आप  श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 213 ☆

☆ एक पूर्णिका – बस एक इम्तिहान काफी है… ☆ श्री संतोष नेमा ☆

हमारी खुशी के लिए एक मुस्कान काफी है

आप रहेंगे दिल में बस ये अरमान काफी है

*

हम ये नहीं कहते कि हमारे पास आ जाओ

हमें तुम याद रखती हो यह अहसान काफी है

*

आप  हमारे  हैँ  हम आपके ये हमारे लिए

बस हमारी यही एक सुखद पहचान काफी है

*

प्यार की कब बकालत की इस दुनिया ने कभी

प्रेमियों को लगता है उनका अवदान काफी है

*

न  जाने  किस  कसौटी  में कसती रही दुनिया

प्यार  के  लिए तो  बस  एक इम्तिहान  काफी है

*

हों सच्चे अहसास प्यार में समाज के भी यहाँ

जिसके लिए सच्चा सामाजिक संज्ञान काफी है

*

प्यार में मिलेगा सुखद “संतोष” तब ही सभी को

होगा जब उनका सही मान सम्मान काफी है

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

वरिष्ठ लेखक एवं साहित्यकार

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 7000361983, 9300101799

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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