डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण गीत “सिय राम लखन अभिनंदन…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 174 – साहित्य निकुंज ☆
☆ गीत – सिय राम लखन अभिनंदन… ☆
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रस्ता देखूं दशरथ नंदन
सिय राम लखन अभिनंदन।
राम राम मैं गाता जाऊं
मन मन में मुस्काता जाऊं।
राह में तेरे फूल बिछाऊं
राह से शूल हटाता जाऊं।।
राम राम का करूं मैं वंदन
सिय राम लखन अभिनंदन।
दर्शन पाकर धन्य हुआ
झुककर चरणों को छुआ
अंतर्मन गदगद ही होता
रोम रोम पुलकित हुआ।
कृपा करना ही रघुनंदन।
सिय राम लखन अभिनंदन।
जब जब भटके मेरी नैया
प्रभु बन जाना मेरा खिवैया।
किरपा इतनी करना राम जी
रख लो मुझको अपने पैया।
राम राम माथे का चंदन।
सिय राम लखन अभिनंदन।
रस्ता देखूं दशरथ नंदन।
सिय राम लखन अभिनंदन।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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