डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण कविता भावना के दोहे।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 168 – साहित्य निकुंज ☆

☆ कविता – भावना के दोहे… ☆

खड़ी सुंदरी द्वार पर, लिए हाथ में सूप।

बालों मे गजरा बंधा, सुंदर दिखता रूप।।

 

पीड़ा मन की आज तक, बांच सका है कौन।

मनवा है बैचेन तो, हूँ अब तक मैं मौन।।

 

आपस में बातें करें, है जीवन अनमोल ।

तेरी मेरी बात का, बस इतना है मोल।।

 

आंखे तेरी बोलती, उनमें बड़ा सवाल।

तू कहना क्या चाहता, पूछ रहे हो हाल।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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