डॉ राकेश ‘ चक्र

(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी  की अब तक 122 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।  जिनमें 7 दर्जन के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों  से  सम्मानित/अलंकृत। इनमें प्रमुख हैं ‘बाल साहित्य श्री सम्मान 2018′ (भारत सरकार के दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी बोर्ड, संस्कृति मंत्रालय द्वारा डेढ़ लाख के पुरस्कार सहित ) एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2019’। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर बाल साहित्य की दीर्घकालीन सेवाओं के लिए दिया जाना सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य भारती’ (धनराशि ढाई लाख सहित)।  आदरणीय डॉ राकेश चक्र जी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें 👉 संक्षिप्त परिचय – डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी।

आप  “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से  उनका साहित्य आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 127 ☆

☆ गीत – अनगिन चले गए  ☆ डॉ राकेश ‘चक्र’ ☆

अनगिन चले गए

परिचित शुभचिन्तक

देखा अदभुत रे संसार।

अब तो छूट रहा है प्यार।।

 

ये भी जोड़ा , वो भी जोड़ा

नाते , रिश्ते जोड़ लिए

कहीं कपट था, कहीं रपट है

कुछ ने रिश्ते तोड़ लिए

 

कैसे मिथक और उपमाएं

करतीं जीवन साज – सँवार।

 

ईश्वर को मैं देख न पाया

लेकिन गीत सदा ही गाया

सुख – दुख में सब काल छिन गया

सुख चाहती है केवल काया

 

कोशिश करी सदा मिलने की

आँख बंद कर की मनुहार।।

 

 

शब्द – शब्द ने ब्रह्म जगाया

जो चाहते थे कब वह पाया

मैल लगे वस्त्रों को हमने

थोड़ा – थोड़ा था चमकाया

 

द्वार खोलती अनुभूति नित

कुछ से मिलता प्यार अपार।।

© डॉ राकेश चक्र

(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)

90 बी, शिवपुरी, मुरादाबाद 244001 उ.प्र.  मो.  9456201857

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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