डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं   “भावना के दोहे । ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 110 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे 

कविता मेरी प्रेरणा, कविता में अनुराग।

अंतर्तम  में बह रहा, है भावों का  राग।।

 

सारस्वत की  रागिनी, बहती है अविराम।

जो है इनकी प्रेरणा, उनको विनत प्रणाम।।

 

राजनीति का हो रहा, सबको ही अब रोग।

 बाढ  प्रदर्शन की चली, बहे जा रहे लोग।।

 

निष्फल ही करते रहे, उनके लिए प्रयास।

समझा उसे जरा नहीं, टूट गई है आस।।

 

भौंरा कैसे नाचता, फूल पंखुड़ी बंद।

इधर उधर डोला फिरे, ढूंढ रहा मकरंद।।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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