श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है सजल “प्रश्न कर रहा फिर बेताल…”। अब आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 7 – प्रश्न कर रहा फिर बेताल … ☆ 

सजल

समांत-आल

पदांत- —

मात्राभार- 15

 

प्रश्न कर रहा फिर बेताल।

विपदा पर क्यों बढ़े दलाल।।

 

प्राणों पर संकट गहराया,

ऑक्सीजन पर मचा बवाल।

 

विश्वगुरु कहलाता जग में

देव धरा का कैसा हाल ।

 

दवा हुई दृष्टि से ओझल,

ब्लैक मार्केटिंग करे हलाल।

 

नक्कालों की तूती बोली,

जहर बेचकर हुए निहाल।

 

कोस रहे जो कुछ सत्ता को,

इन दुष्टों पर नहीं मलाल।

 

कुर्सी खातिर होड़ मची है,

फैलाते हैं नित भ्रमजाल।

 

मौत के देखो सौदागर ,

बढ़ा रहे जी का जंजाल।

 

देश जूझता है संकट से

जनता होती है बेहाल।

 

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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