श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी नवरात्रि पर्व पर विशेष कविता “# गणना #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 51 ☆

☆ # गणना # ☆ 

वो सुर्य की किरणें

ओस की बूंदों में

गिन रहे हैं

 

वो अथाह सागर में

मोतियों से भरे सीप

बीन रहे हैं

 

वो शरद पूर्णिमा को

अंबर से गिरते अमृत को

अपने कटोरे के दूध में

लीन रहे हैं

 

वो खेतों की उपज को

बड़े बड़े गोदामों में भरकर

भूखों से निवाला

छीन रहे हैं

 

वो चेहरों पर मुखौटा लगाकर

महापुरुष बनने का

एक शानदार सीन कर रहे हैं

 

वो प्रेयसी के बालों में सजे

मोगरे,जाई के

फूलों को मसलकर

छिन्न भिन्न कर रहे हैं

 

वो महामारी में

मृतकों की संख्या नहीं जानते

पर जीवित मुर्दों में लगें टीके

क्रमवार गिन रहे हैं

 

वो गणना के खेल के

माहिर खिलाड़ी है

वो यह खेल सदियों से

रात दिन खेलते हैं 

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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