श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचना सहित 145 बालकहानियाँ 8 भाषाओं में 1160 अंकों में प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तकेँ-1- रोचक विज्ञान कथाएँ, 2-संयम की जीत, 3- कुएं को बुखार, 4- कसक, 5- हाइकु संयुक्ता, 6- चाबी वाला भूत, 7- बच्चों! सुनो कहानी, इन्द्रधनुष (बालकहानी माला-7) सहित 4 मराठी पुस्तकें प्रकाशित। मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी का श्री हरिकृष्ण देवसरे बाल साहित्य पुरस्कार-2018 51000 सहित अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित व पुरस्कृत। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य”  के अंतर्गत साहित्य आप प्रत्येक गुरुवार को आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है सुश्री कुसुम अग्रवाल जी द्वारा संपादित बाल कहानी संग्रह – “पालतू पशुओं की सरस कहानियांकी समीक्षा।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 214 ☆

☆ बाल कहानी-संग्रह – पालतू पशुओं की सरस कहानियां – संपादिका : सुश्री कुसुम अग्रवाल ☆ समीक्षा – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’’

पुस्तक: पालतू पशुओं की सरस कहानियां (बाल कहानी-संग्रह)

संपादिका : सुश्री कुसुम अग्रवाल 

प्रकाशक: सूर्य भारती प्रकाशन, दिल्ली 

पृष्ठ संख्या: 72 

मूल्य: ₹250 

समीक्षक: ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश

☆ समीक्षा- बच्चों की कल्पनाशीलता को रंग देती कहानियां –  ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ☆

बाल साहित्य बच्चों की कल्पनाशीलता को पंख और उनके कोमल मन को नैतिक मूल्यों का आधार प्रदान करता है। कुसुम अग्रवाल द्वारा संपादित पालतू पशुओं की सरस कहानियाँ ऐसा ही एक रंगीन, शिक्षाप्रद, और भावनात्मक रूप से समृद्ध बाल कहानी-संग्रह है। यह संकलन देश के 15 प्रतिष्ठित बाल साहित्यकारों की उत्कृष्ट रचनाओं का सुंदर गुलदस्ता है, जो पालतू पशु-पक्षियों की कहानियों के माध्यम से बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ प्रेम, दोस्ती, करुणा, और विश्वास जैसे जीवन मूल्यों से परिचित कराता है। राजस्थान साहित्य अकादमी के शम्भू दयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित कुसुम अग्रवाल का यह प्रयास बच्चों के लिए एक अनमोल उपहार है।

संग्रह की मूल विषयवस्तु और संपादकीय कुशलता

इस संग्रह में पालतू पशु-पक्षी—कुत्ते, बिल्ली, तोते, खरगोश आदि—कहानियों के केंद्र में हैं, जो अपनी मासूमियत और निष्ठा से बच्चों के हृदय से सहज संवाद करते हैं। कुसुम अग्रवाल अपनी प्रस्तावना में कहती हैं कि ये पात्र बच्चों को न केवल मनोरंजन देते हैं, बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास में सकारात्मक योगदान भी देते हैं। संपादक ने देश के ख्यातिनाम साहित्यकारों—विमला नागला, शील कौशिक, डॉ. राकेश चक्र, ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’, अंजीव अंजुम, नीलम राकेश, मनोहर चमोली ‘मनु’, इंजी. आशा शर्मा, इंद्रजीत कौशिक, मो. अशरद खान, श्याम सुन्दर श्रीवास्तव ‘कोमल’, लक्ष्मी कानोडिया, उषा सोमानी, कामना सिंह, और स्वयं कुसुम अग्रवाल—की रचनाओं को एक मंच पर लाकर विविधता और गुणवत्ता का अनुपम समन्वय किया है।

इस संग्रह की 15 कहानियाँ अपनी विषय वस्तु, शैली, और संदेश में विविध और प्रभावशाली हैं। प्रत्येक कहानीकार ने पालतू पशुओं को जीवंत पात्र बनाकर बच्चों के लिए एक आकर्षक और शिक्षाप्रद संसार रचा है। ये कहानियाँ हैं: विमला नागला की बेजुबान का दर्द – पशुओं की संवेदनशीलता को मार्मिक ढंग से दर्शाती यह कहानी बच्चों में सहानुभूति जगाती है। वही, शील कौशिक की गुड्डू की दोस्त कहानी – दोस्ती और निष्ठा के मूल्यों को सरल किंतु गहरे ढंग से प्रस्तुत करती है।

डॉ. राकेश चक्र की कहानी – कशिश और काली, पालतू पशु के प्रति बच्चों की जिज्ञासा और स्नेह को उभारती है। इसी के साथ ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ की मित्र की सरलता  कहानी– मित्रता की सादगी और सच्चाई को रेखांकित करती है।

अंजीव अंजुम: सजीव खिलौने, कहानी पशुओं को खिलौनों से अधिक जीवंत दोस्त के रूप में चित्रित करती है। वही, नीलम राकेश की टॉमी और भूरी, कहानी – कुत्तों की निष्ठा और बच्चों के साथ उनके रिश्ते को भावनात्मक ढंग से दर्शाती है।

मनोहर चमोली ‘मनु’ की कहानी – मैं भी दोस्त, साहस और दोस्ती के गुणों को बच्चों के लिए प्रेरणादायक बनाती है। साथ ही इंजी. आशा शर्मा की कहानी – दादी बदल गई – पालतू पशु के प्रभाव से बदलते दृष्टिकोण को हास्य और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करती है।

इंद्रजीत कौशिक की कहानी- अच्छी संगत का असर– संगति के प्रभाव को नैतिक संदेश के साथ उजागर करती है। इसी के साथ मो. अशरद खान की कहानी – कमरे में बंद डॉगी – पशुओं की भावनाओं और उनकी स्वतंत्रता की चाह को मार्मिक ढंग से दर्शाती है।

श्याम सुन्दर श्रीवास्तव ‘कोमल’ की कहानी – बेजुबान दोस्त – पशुओं की मूक भाषा और बच्चों से उनके जुड़ाव को खूबसूरती से चित्रित करती है। वही, लक्ष्मी कानोडिया की कहानी – किट्टू ने पाली बिल्ली – बच्चों की जिम्मेदारी और देखभाल के गुण को उभारती है। वही, उषा सोमानी की कहानी – सोना और चाँदी,  सच्चाई और प्रेम की जीत को प्रेरणादायक ढंग से प्रस्तुत करती है।

कामना सिंह: जीतू का रस्टी में पालतू कुत्ते और बच्चे के बीच गहरे रिश्ते को भावुकता के साथ दर्शाती है। वही,  संपादक कहानीकार कुसुम अग्रवाल: काजल और बादल में पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम और संवेदनशीलता को बच्चों के लिए प्रेरक बनाती है।

इन कहानियों की भाषा सरल, प्रवाहमयी, और बच्चों की समझ के अनुरूप है। प्रतिष्ठित साहित्यकारों की लेखनी का जादू प्रत्येक कहानी में झलकता है, जो हास्य, रोमांच, और भावनात्मक गहराई का सुंदर मिश्रण रचती हैं।

सूर्य भारती प्रकाशन ने इस 72-पृष्ठीय संग्रह को रंगीन चित्रों से सजाकर बच्चों के लिए अत्यंत आकर्षक बनाया है। ये चित्र कहानियों को जीवंत करते हैं और 5 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों का ध्यान बांधे रखते हैं। ₹250 की कीमत इसे मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए सुलभ बनाती है। उच्च गुणवत्ता का कागज, मुद्रण, और बाइंडिंग इसकी शोभा बढ़ाते हैं, जिससे यह स्कूलों, पुस्तकालयों, और घरों के लिए एक आदर्श पठन सामग्री बन जाती है।

यह संग्रह केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है; यह बच्चों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता, जीव-जंतुओं के प्रति दया, और आपसी सहयोग जैसे मूल्यों को रोपता है। प्रत्येक कहानी बच्चों को नैतिक दुविधाओं का सामना करने और सही निर्णय लेने की प्रेरणा देती है। साहित्यकारों की प्रतिष्ठा और उनकी रचनाओं की गुणवत्ता इस संग्रह को बाल साहित्य में विशिष्ट बनाती है। संपादक ने कहानियों को इस तरह संकलित किया है कि वे अपने केंद्रीय विषय—पालतू पशुओं का महत्व—से जुड़ी रहती हैं, जो उनकी संपादकीय कुशलता को दर्शाता है।

पालतू पशुओं की सरस कहानियाँ देश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उत्कृष्ट रचनाओं का एक अनमोल संग्रह है, जो बच्चों के लिए मनोरंजन, शिक्षा, और नैतिक मूल्यों का त्रिवेणी संगम है। कुसुम अग्रवाल का संपादन और सूर्य भारती प्रकाशन की आकर्षक प्रस्तुति इसे बाल साहित्य का एक चमकता सितारा बनाती है। यह संग्रह बच्चों को पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम और संवेदनशीलता सिखाने के साथ-साथ उनके मन को सकारात्मक दृष्टिकोण से भर देता है।

अभिभावकों, शिक्षकों, और बाल साहित्य प्रेमियों के लिए यह संग्रह अवश्य पढ़ने योग्य है। यह बच्चों के लिए एक आदर्श उपहार और स्कूल पुस्तकालयों के लिए एक मूल्यवान जोड़ है।

© श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

14/05/2025

संपर्क – 14/198, नई आबादी, गार्डन के सामने, सामुदायिक भवन के पीछे, रतनगढ़, जिला- नीमच (मध्य प्रदेश) पिनकोड-458226

ईमेल  – opkshatriya@gmail.com मोबाइल – 9424079675 /8827985775

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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