॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #17 (16 – 20) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -17
अभिमंत्रित जल से अतिथि कर पवित्र-स्नान।
वर्षा सिंचित तड़ित सम हुये अधिक द्युतिमान।।16।।
तब अभिषेक समाप्ति पर किया अतिथि ने दान।
भिक्षु भी पा जो कर सके यज्ञ-दक्षिणा दान।।17।।
हो प्रसन्न उनने दिये आशीर्वाद अनेक।
जो भविष्य हित सुरक्षित थे अनुकूल विशेष।।18।।
बंसी सब छोड़े गये मृत्युदंड हुये माफ।
भारवहन से मुक्त वृष दोहन से सब गाय।।19।।
तोता-मैना भी सही हो पिंजड़ों से मुक्त।
करने लगे विहार वे स्वेच्छा से उन्मुक्त।।20।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈