महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.६५॥ ☆

 

तत्रावश्यं वलयकुलिशोद्धट्टनोद्गीर्णतोयं

नेष्यन्ति त्वां सुरयुवतयो यन्त्रधारागृहत्वम

ताभ्यो मोक्षस तव यदि सखे घर्मलब्धस्य न स्यात

क्रीडालोलाः श्रवणपरुषैर गर्जितैर भाययेस ताः॥१.६५॥

 

वहाँ सुर युवतियां अचश ही तुम्हें छेद

कंगन कुलश से बना नीर धारा

लेंगी सखे घेर , आनन्ददायी

धवलधारवर्षी कि जैसे फुहारा

यदि त्रस्त तब , जो न हो मुक्ति उनसे

जो क्रीड़ानिरत नारि चंचलमना हों

तो तब भीतिप्रद कर्णकटु गर्जना से

डराकर भगाना सकल अङ्गना को

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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