महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.५०॥ ☆

 

त्वय्य आदातुं जलम अवनते शार्ङ्गिणो वर्णचौरे

तस्याः सिन्धोः पृथुम अपि तनुं दूरभावात प्रवाहम

प्रेक्षिष्यन्ते गगनगतयो नूनम आवर्ज्य दृष्टिर

एकं भुक्तागुणम इव भुवः स्थूलमध्येन्द्रनीलम॥१.५०॥

नदी तीर लेने तुझे आ गये को

स्वयं श्यामघन ! विष्णु के वर्णधारी

बँधी दृष्टि से अचल अपलक नयन से

लखेंगे सभी सिद्धगण व्योमचारी

चर्मण्वती की विपुलधार जो

दूर नभ से दिखेगी सरल क्षीण धारा

उस पर पड़े तुम दिखोगे वहां

ज्यों , धरा के गले में तरल नील माला

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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