महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत ….पूर्वमेघः ॥१.२८॥ ☆

 

वक्रः पन्था यदपि भवतः प्रस्थितस्योत्तराशां

सौधोत्सङ्गप्रणयविमुखो मा स्म भूर उज्जयिन्याः

विद्युद्दामस्फुरितचक्रितैस तत्र पौराङ्गनानां

लोलापाङ्गैर यदि न रमसे लोचनैर वञ्चितो ऽसि॥१.२८॥

यदपि वक्र पथ , हे पथिक उत्तरा के

न उज्जैन उत्संग तुम भूल जाना

विद्युत चकित चारु चंचल सुनयना

मिल रमणियों से मिलन लाभ पाना

 

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’   

A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments