डॉ. अनिता एस. कर्पूर ’अनु’

डॉ. अनिता एस. कर्पूर ’अनु’ जी  बेंगलुरु के जैन महाविद्यालय में सह प्राध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं एवं  साहित्य की विभिन्न विधाओं की सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में मन्नू भंडारी के कथा साहित्य में मनोवैज्ञानिकता, स्वर्ण मुक्तावली- कविता संग्रह, स्पर्श – कहानी संग्रह, कशिश-कहानी संग्रह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त आपकी एक लम्बी कविता को इंडियन बुक ऑफ़ रिकार्ड्स 2020 में स्थान दिया गया है। आप कई विशिष्ट पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। आज ससम्मान  प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण एवं सार्थक कविता संस्कृति ।  इस  कविता के लिए डॉ. अनिता एस. कर्पूर ’अनु’ जी की लेखनी को सादर नमन।)  

☆ कविता – संस्कृति  ☆ 

 

रामायण, महाभारत औ’ गीता

कहलाते जिनके धार्मिक ग्रंथ

जहाँ वीर शहीदों ने जन्म लिया

उस पावन धरा की संस्कृति

लग रहा है मानो!!

आज खडी है बाज़ार में

अवनति की राह पर

चली भारत की संस्कृति

अब पनप रही है पाश्चात्य देशो में

सीखा रामायण विदेशियों ने

जाना गीता-सार दूसरों ने

लोकगीत व नृत्य में रुचि?

आज  कुछ भारतीय युवा

नहीं सुनना चाहते सत्संग

गीता या रामायण का पाठ

खो चुके स्वयं को चकाचौंध में

अंधियारे में चले खोजने रोशनी?

न ढूँढने पर मिलता प्रकाश

कल्पना में जीता है युवा

हकीकत की दुनिया से परे

अलग फिल्मों की दुनिया में

भूलकर स्वयं को किरणों में

नहीं पाश्चात्य संस्कृति हमारी

मत लगा अंधी दौड़ इंसान

भारत की है अमृत संस्कृति

भारत- संस्कृति चिर प्रवाहित

भारत के संस्कार विश्व में महान

विविधता में एकता है पहचान

गुज़ारिश है मात्र एक

लाना विचारों में बदलाव

पहनावा कुछ भी हो

नहीं फर्क करना कभी

संस्कृति को बचाना

देश को आगे है बढ़ाना

भारत देश के युवा की

संस्कृति है पहचान

बरकरार रखना है उसे

संस्कृति का अर्थ समझ

अपनाना उसे दिल से

बेमन मत छूना पैर बड़ों के

मत देना झूठा प्यार

मुस्कुरा देना देखकर

खुश हो जाएंगे बुजुर्ग

देख तार-तार आदमी

बस यही होगी जीत

यहीं है संदेश जीवन का

यहीं है गीत प्यार का

यही है सूरज की किरण

मत खो जाना गुफाओं में

मत भटकना गलियारों में

उद्देश्य औ’ मंजिल की ओर

मात्र चलते रहना  इंसा

मत कर इन्कार

यही है संस्कार

यही है संस्कार।

 

©  डॉ. अनिता एस. कर्पूर ’अनु’

लेखिका, सहप्राध्यापिका, हिन्दी विभाग, जैन कॉलेज-सीजीएस, वीवी पुरम्‌, वासवी मंदिर रास्ता, बेंगलूरु।

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Arathi

Nice message to the people of our country.