श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ 

(साहित्यकार श्रीमति योगिता चौरसिया जी की रचनाएँ प्रतिष्ठित समाचार पत्रों/पत्र पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में सतत प्रकाशित। कई साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित। राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय मंच / संस्थाओं से 150 से अधिक पुरस्कारों / सम्मानों से सम्मानित। साहित्य के साथ ही समाजसेवा में भी सेवारत। हम समय समय पर आपकी रचनाएँ अपने प्रबुद्ध पाठकों से साझा करते रहेंगे।)  

☆ सृजन शब्द – माँ ☆ श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ ☆

जीवन में अस्तित्व की पहचान है माँ ।

धरती से अंबर तक प्रेम महान है माँ ।।

 

धरा पर ईश्वर का रूप अनोखा है माँ ।

दुख को समेटे सुख लेखा है माँ ।।

 

चारों धाम की पुन्य प्रताप दयाला है माँ ।

जीवन के विष में अमृत प्याला है माँ ।।

 

 चाँद तारे सूरज पूरा आसमान है माँ ।

पृथ्वी प्रकृति सृष्टि सी अरमान है माँ ।।

 

जिंदगी की धूप में ठंडी छाँव है माँ ।

प्रेमिल ममता का सुंदर गाँव है माँ ।।

 

सरिता सी बहती शीतल धारा है माँ ।

सभ्यता संस्कृति अर्पित सारा है माँ ।।

 

जीवन में पहला ज्ञान का भंडार है माँ ।

अतुल्य स्नेह की अमूल्य धरोहर है माँ ।।

 

बैचैन सी दुनिया में आत्मसंतुष्टि है माँ ।

नि:स्वार्थ भाव से तत्पर वृष्टि है माँ ।।

 

ममतामयी आँचल की सौगात है माँ ।

हर पल प्रेमिल हृदय बरसात है माँ ।।

© श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ 

मंडला, मध्यप्रदेश 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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