डॉ निशा अग्रवाल

☆ विश्व हिन्दी दिवस विशेष  – “अभिमान बनी हिन्दी भाषा…” ☆ डॉ निशा अग्रवाल

जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

हर जन की ह्रदय प्रिय बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

हिंदुस्तानी हम है तो हिंदी का मान बढ़ाएं

हिंदी भाषी लोगों से हम कभी नहीं कतराएं।

अहसास गर्व का करवाती हिंदी भाषा ही अपनी

हर मन के भाव समझाती हिंदी भाषा ही अपनी

जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

हर दिल की अज़ीज़ बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

☆ 

घर परिवार समाज को बांधे एक सूत्र में हिंदी

सारेगामा सात सुरों को साजे ताल में हिंदी

संस्कारों को चिन्हित करती हिंदी भाषा ही अपनी

मनमोहक चित्रण भी करती हिंदी भाषा ही अपनी

☆  

जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

हर दिल की अज़ीज़ बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

☆ 

मीरा, तुलसी के दोहे हिंदी भाषा में बने हैं

निर्गुण भाव कबीरा और  वात्सल्य रसखान भरे हैं

गद्य पद्य दोहे सूक्ति मिल पुस्तक बन जाती हिंदी

नैतिक शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान में छाप छोड़ती हिंदी

☆ 

जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

हर दिल की अज़ीज़ बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

☆ 

छंदबद्ध, मुक्त छंद काव्य सब हिंदी में रचे गए हैं

शोध ग्रंथ, पाठ्यक्रम पुस्तक सहज ही पढ़े गए हैं

जटिल तथ्य को सहज बनाती हिंदी भाषा ही अपनी

उमंग, खुशी की लहर जगाती हिंदी भाषा ही अपनी

☆ 

जान बनी अभिमान बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

हर दिल की अज़ीज़ बनी हिन्दी भाषा तो अपनी

©  डॉ निशा अग्रवाल

(ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका)

एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री

जयपुर ,राजस्थान

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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