श्री हरभगवान चावला

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं  में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा  लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।) 

आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कविता  – बादल…।)

☆ कविता – बादल…! ☆ श्री हरभगवान चावला ☆

सालों तक

गाँव में बादल नहीं बरसे

तो बादलों की तलाश में

घर से निकल गये पिता

माँ की आँखें हर साल बादल होती रहीं

पर न बादल बरसे, न पिता ही लौटे

और फिर एक साल बादल आया

ख़ूब घना बादल, ख़ूब बरसा भी

पर पिता बादल के साथ नहीं थे

न कोई संदेश आया बादल के हाथ

सालों बीत गए हैं

घर की चौखट माँ के आँसुओं से

हर समय गीली बनी रहती है

सुनते हैं, बादल हो गये थे पिता

तेज़ अंधड़ों के थपेडों की मार से

पिता भटक कर भूल गए घर का रास्ता

अब शायद वे बरस जाते होंगे हर उस गाँव में

जो उन्हें उनके गाँव की तरह प्यासा दिखता होगा ।

©  हरभगवान चावला

सम्पर्क –  406, सेक्टर-20, हुडा,  सिरसा- 125055 (हरियाणा) फोन : 9354545440
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments