श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “नून बिन सब सून।)  

? अभी अभी # 46 ⇒ नून बिन सब सून? श्री प्रदीप शर्मा  ? 

आज का कान्वेंटी ज्ञान,नून को गुड आफ्टरनून वाला नून और सून को कम सून वाला सून भले ही समझ ले, लेकिन जिन्होंने मुंशी प्रेमचंद का नमक का दारोगा पढ़ा है,और जिन्हें गांधीजी के नमक सत्याग्रह की जानकारी है,वे नून तेल का महत्व अच्छी तरह से जानते हैं । सून भी सूना का ही अपभ्रंश है, नमक बिना भी कहीं इंदौर का नमकीन बना है ।

कहने को हमारे शरीर में सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं,लेकिन ज़िंदा रहने और स्वस्थ रहने के लिए हमें नमक का सहारा लेना ही पड़ता है । अधिक नमक के हानिकारक परिणामों से पूरी तरह से परिचित होते हुए भी हमारे जीवन में नमक का एक अहम स्थान है ।।

कल मेरा गला खराब हो गया था,मुंह से बोल नहीं निकल रहे थे । थोड़ा हल्दी नमक से गरारा किया,तो गला खुला । भोजन में अगर चुटकी भर नमक न हो,तो भोजन स्वादिष्ट नहीं बनता । जो पहले किसी का नमक खा लेते थे,वे नमक का कर्ज अदा करते थे । आजकल सिर्फ नमक की कीमत अदा करते हैं । सलीम जावेद पहले संवाद लेखक हुए हैं, जिन्होंने फिल्म शोले में गब्बर सिंह के मुख से एक स्वास्थ्य संबंधी संदेश इस तरह प्रसारित किया ;

सरदार ! मैंने आपका नमक खाया है ।
तो ले,अब, बीपी की, गोली खा ।।

इस धरती पर केवल इंसान ही ऐसा प्राणी है जो कपड़े पहनता है,और भोजन पकाकर खाता है । शेर जंगल का राजा है,फिर भी नंगा रहता है, और अपने हाथ से शिकार करता है,और बिना पकाए,नून तेल ,पुष्प ब्रांड मसाले बिना ही खा लेता है । कैसी डायनिंग टेबल और शाही थाली । जब कि एक आम आदमी सूट बूट पहनकर जेब में एक 500 का नोट रख बढ़िया सी होटल में शाही पनीर और बिरयानी खाकर मूंछ और पेट पर हाथ फेर लेता है । शेर फिर भी शेर है, और आदमी,बेचारा आदमी ।

आप चाहे किसी भी चीज का अचार डालो, अथवा ज़िन्दगी भर पापड़ बेलो, नून बिन सब सून । बिना तेल का, बिना मिर्ची का,अचार तो बन सकता है,लेकिन बिना नमक के नहीं । जिस तरह आज मुलायमसिंह की कहीं दाल नहीं गल रही, बिना नमक के कभी अचार भी नहीं गलता ।।

नमक तो नमक होता है,नमक से हड्डियां गलती भी हैं, और मजबूत भी होती है । आप किसी का भी नमक खाएं, कम ही खाएं । क्योंकि नमक का कर्ज भी अदा करना पड़ता है । आप मिर्ची तो खा भी सकते हो,और किसी को लगा भी सकते हो,लेकिन नमक किसी को नहीं लगाया जाता । जले पर नमक छिड़क ना हमें पसंद नहीं । हल्दी की रस्म तो सुनी है,कभी नमक की रस्म नहीं सुनी ।

वैसे खाने में नमक मिर्ची की जोड़ी भाई बहन की जोड़ी लगती है । सिका हुआ भुट्टा हो तो नमक, नींबू से काम चल जाता है । जाम और जामुन पर अगर नमक मिर्ची नहीं बुरकी हो,तो मज़ा नहीं आता । दही बड़ा तो गार्निश ही नमक मिर्ची और भुने हुए जीरे के साथ होता है ।।

नमक की महिमा जितनी मुंह में पानी लाती है, मात्रा बढ़ जाने पर आजकल बी पी भी उतना ही बढ़ाती है । स्वास्थ्य के रखवाले,नमक के पीछे हाथ धोकर पड़ गए हैं । आयोडीन गया भाड़ में,अगर स्वस्थ रहना हो,तो सेंधा नमक का ही सेवन करें ।

मुझे याद है,खड़े नमक और खड़ी मिर्ची से मां मेरी नज़र उतारा करती थी । तब घरों में सिगड़ी हुआ करती थी । अंगारों पर जब नमक मिर्ची डाली जाती थी,तब अगर मिर्ची की धांस नहीं आई,मतलब नज़र लगी है,और अगर मिर्ची की धांस है,तो नज़र नहीं । जब से मां गई है,मुझे किसी की नजर ही नहीं लगी । मॉम बिन सब सून ।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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