डॉ अ. कीर्तिवर्धन का काव्य संसार – दो काव्य संग्रह लोकार्पित

विद्यालक्ष्मी चैरिटेबल ट्रस्ट तथा एच डी चैरिटेबल सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में एस डी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, मुजफ्फरनगर के सभागार में विगत 22 दिसंबर 2018 को आयोजित अविस्मरणीय समारोह में डॉ अ कीर्तिवर्धन की दो पुस्तकों “मानवता की ओर” तथा “द वर्ल्ड ऑफ पोइट्री” (The World of Poetry)  का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ कीर्ति वर्धन जी द्वारा हाइकु शैली में लिखी तथा भारती विश्वनाथन जी द्वारा स्वरबद्ध की गयी सरस्वती वंदना से किया गया।

पुस्तक के विषय में अपनी बात रखते हुये कीर्तिवर्धन जी ने समाज में घटते संस्कारों व सामाजिक मूल्यों के प्रति चिन्ता जाहिर की और बताया कि उनकी कविता भूतकाल से सीखकर वर्तमान के धरातल पर खड़ी होकर भविष्य की चुनौतियों के लिये समाज को तैयार करने का प्रयास है। मानवीय दृष्टिकोण तथा मानवता भारतीय जीवन शैली है, उसके बिना विश्व कल्याण सम्भव नही है। अपनी चार पंक्तियों के माध्यम से उन्होने कहा –

टूटकर   भी   किसी   के   काम   आ जाऊँगा,
मैं पत्ता हूँ,  गल गया तो खाद बन जाऊँगा।
हो सका तो मुझको जलाना ईंधन के वास्ते,
किसी के काम आ सकूँ, खुशी से जल जाऊँगा।

डॉ अ कीर्तिवर्धन की चुनिंदा कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद ‘द वर्ल्ड ऑफ पोइट्री’ के अनुवादक डॉ राम शर्मा (विभागाध्यक्ष अंग्रेजी जे वी कॉलेज बडौत) के अनुसार कीर्ति जी की कविताएँ सरल, सहज व मानवीय संवेदनाओं से पूर्ण हैं। आज कीर्ति जी की अंग्रेजी में अनुदित कविताएँ विश्व पटल पर पढी और सराही जाती हैं। श्री रोहित कौशिक जी के अनुसार डॉ कीर्ति वर्धन जी की कविताओं में समाज बदलने की ताकत है। वह आदमी को इन्सान बनने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने आशा जताई कि कीर्ति जी समाज को कुछ और भी बेहतर देने में सक्षम होंगे। श्री राजेश्वर त्यागी जी, मेरठ के अनुसार ‘मानवता की ओर’ मानवीय संवेदनाओं का जीवन्त दस्तावेज है। पुस्तक की अनेक रचनाओं का उल्लेख करते हुये उन्होने कहा कि अपने 52 वर्ष के लेखनकाल में उन्होने मानवीय संवेदनाओं की ऐसी सृजना नही की।

संस्कृत के प्रख्यात विद्वान डॉ उमाकांत शुक्ल जी ने कीर्तिजी की सहृदयता तथा मानवीय दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुये उनकी पूर्व पुस्तकों मुझे इन्सान बना दो, सुबह सवेरे, सच्चाई का परिचय पत्र  में भी उनके मानवतावादी दृष्टिकोण की चर्चा की और आशीर्वाद देते हुये कहा कि कीर्तिवर्धन जी अपनी रचनाओं से समाज में मानवता का परचम फहराते रहेंगे और बच्चों में संस्कारों का रोपण करने में संलग्न रहेंगे। प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ एस एन चौहान के अनुसार  कीर्तिवर्धन जी अच्छे साहित्यकार के साथ बेहतरीन इंसान भी हैं। उनकी कविताएं इंसानी मूल्यों के प्रति संवेदना, प्रेरणा व स्फूर्ति पैदा करने वाली हैं। उनके अनुसार “मानवता की ओर” एक ऐसी कृति है जो आज के आपाधापी के युग में कल्याण का पथ प्रशस्त कर सकेंगी।  कीर्तिजी की बुजुर्गों पर केन्द्रित पुस्तक “जतन से ओढी चदरिया” को सराहते हुए उन्होने कहा कि यदि इसको पढा और समझा जाये तो समाज में वृद्धाश्रम की समस्या समाप्त हो जायेगी। डॉ चौहान ने कीर्तिवर्धन जी की रचनाओं के कन्नड, तमिल, मैथिली, नेपाली, अंगिका, तमिल व उर्दू अनुवादों की भी चर्चा की।

साभार श्री अभिषेक वर्धन, मुजफ्फरनगर

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