श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

त्रयोदश अध्याय

(ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय)

 

सर्वतः पाणिपादं तत्सर्वतोऽक्षिशिरोमुखम्‌ ।

सर्वतः श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति ।।13।।

उसके हाथ औ” पांव, सिर आँख, कान सब ओर

मुख उसका चहुँ ओर है, देख रहा चहुँ ओर ।।13।।

भावार्थ :  वह सब ओर हाथ-पैर वाला, सब ओर नेत्र, सिर और मुख वाला तथा सब ओर कान वाला है, क्योंकि वह संसार में सबको व्याप्त करके स्थित है। (आकाश जिस प्रकार वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी का कारण रूप होने से उनको व्याप्त करके स्थित है, वैसे ही परमात्मा भी सबका कारण रूप होने से सम्पूर्ण चराचर जगत को व्याप्त करके स्थित है) ।।13।।

 

With hands and feet everywhere, with eyes, heads and mouths everywhere, with ears everywhere, He exists in the worlds, enveloping all.।।13।।

 

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

[email protected]

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments