श्री अरुण कुमार दुबे

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “मस्जिदें और शिवाले न परिंदों को अलग“)

☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 105 ☆

✍ मस्जिदें और शिवाले न परिंदों को अलग… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे 

सच का अहसास कराते हैं चले जाते हैं

ख़्वाब तो ख़्वाब हैं आते हैं चले जाते हैं

जो हक़ीक़त न हो उससे न रब्त रखना है

ये छलावा है सताते है चले जाते हैं

 *

मस्जिदें और शिवाले न परिंदों को अलग

बैठते खेलते खाते है चले जाते हैं

 *

बुज़दिलों और जिहादी की न पहचान अलग

दीप धोखे से बुझाते हैं चले जाते  हैं

 *

इन हसीनों की अदाओं से बचाना खुद को

मुस्करा दिल को चुराते हैंचले जाते हैं

 *

बादलों जैसी ही सीरत के बशर कुछ देखे

गाल बस अपने बजाते है चले जाते हैं

 *

ज़ीस्त में  मिलती हैं तक़दीर से ऐसी हस्ती

हमको इंसान बनाते है चले जाते  हैं

 *

रहनुमाओं से सिपाही हैं वतन के  बेहतर

देश पर जान लुटाते है चले जाते  हैं

 *

रोते आते है मगर उसका करम जब हो अरुण

 फ़र्ज़ हँस हँस के निभाते है चले जाते हैं

© श्री अरुण कुमार दुबे

सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश

सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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