श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 350 ☆
आलेख – ऑपरेशन सिंदूर… सेना के प्रति कृतज्ञ राष्ट्र
श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆
भारतीय सैनिकों का इतिहास सदा से अदम्य साहस, समर्पण और देशभक्ति से भरा हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर भी उसी गौरवशाली किताब का नया अध्याय है। हमारी सेना ने अद्वितीय वीरता दिखाते हुए दुश्मन को नए उपकरणों से, आक्रमण तथा सुरक्षा में तकनीकी कौशल से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया। यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि हर उस सैनिक के संघर्ष का प्रतीक है, जो सीमा पर देश की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने को हमेशा तैयार रहता है। भारत की वायु सेना के मिसाइल आक्रमण बेमिसाल थे। देश की गुप्तचर एजेंसी ने सफलता की अद्भुत कहानी लिखी है। सीमा पर थल सेना अग्निपरीक्षा से गुजर रही थी। जवानों का संघर्ष अद्वितीय है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैनिकों ने न केवल शारीरिक चुनौतियों का सामना किया, बल्कि मानसिक रूप से भी खुद को मजबूत रखा। ऊँचे पहाड़ों, खतरनाक मौसम और दुर्गम इलाकों में घात लगाए दुश्मन से लोहा लेना, बिना सीमा पार किए पाकिस्तान पर देश ने अभूतपूर्व प्रहार किए। यह असाधारण बात थी। हर उड़ान, हर कदम पर जान का जोखिम, परिवार से दूरियाँ, और अनिश्चितता के बीच सैन्य दल का धैर्य असाधारण था।
अब जबकि सीमा पर अपेक्षाकृत शांति है, देशवासियों का कर्तव्य है कि हम सब अपनी अपनी तरह से हमारी सेना के प्रति संजीदगी से कृतज्ञता ज्ञापित करें। सैनिकों के परिवारों का सहारा बनें।
जब जवान सीमा पर डटे होते हैं, तो उनके परिवार की चिंता उनके मन में हमेशा बनी रहती है। ऐसे में समाज का दायित्व है कि हम सेना के साथ खड़े रहें।
हमारा आर्थिक सहयोग सैनिकों के परिवारों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए मदद बन सकता है। हमारे छोटे-छोटे दान, स्कॉलरशिप या रोजगार के अवसर उनके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
हम सेना को मानसिक संबल दे सकते हैं। सैन्य अभियानों के बाद जवानों और उनके परिवारों को मनोवैज्ञानिक समर्थन की आवश्यकता होती है। काउंसलिंग सेवाएँ, समर्थन समूह और मनोरंजन के कार्यक्रम उन्हें तनाव से उबारने में मदद कर सकते हैं।
शहीदों के बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देकर हम उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं। इसी तरह, परिवार के सदस्यों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाना भी महत्वपूर्ण है। स्थानीय समुदाय इन परिवारों के साथ त्योहारों, समारोहों या रोजमर्रा के कार्यों में शामिल होकर उन्हें अकेलापन महसूस न होने दें।
अपना टैक्स समय पर देना हर नागरिक का कर्तव्य होता है।
सैनिकों का सम्मान केवल शब्दों तक सीमित नहीं होना चाहिए। छोटे-छोटे प्रयास, जैसे सैन्य कल्याण कोष में योगदान, रक्तदान शिविरों में भाग लेना, या सेना के अस्पतालों में स्वयंसेवा करना, हमारी कृतज्ञता को व्यक्त करने के तरीके हैं। सोशल मीडिया पर उनकी बहादुरी की कहानियाँ साझा करके भी हम समाज में जागरूकता फैला सकते हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर सारे मतभेद भुलाकर एकजुटता ही सेना की ताकत होती है।
ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियान हमें याद दिलाते हैं कि देश की सुरक्षा का दायित्व सिर्फ सैनिकों पर नहीं, बल्कि हर नागरिक पर है। उनके परिवारों की मदद करना, उनके संघर्षों को समझना और उन्हें सम्मान देना ही सच्ची देशभक्ति है। जब देश का हर व्यक्ति अपनी भूमिका निभाएगा, तभी हमारी सेनाएं निडर होकर सीमा पर डटे रहेंगे और हम निश्चिन्त होकर शांति से सो सकेंगे।
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© श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
म प्र साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ व्यंग्यकार
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