श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 174 – मनोज के दोहे ☆

सूरज की दादागिरी, चलती है दिन रात।

हाथ जोड़ मानव करें, वरुणदेव दें मात।।

 *

धूप दीप नैवेद्य से, प्रभु को करें प्रसन्न।

द्वारे में जो माँगते, उनको दें कुछ अन्न।।

 *

बैशाख माह में दान का, होता बड़ा महत्व।

यही पुण्य संचित रहे, सत्य-सनातन-तत्त्व।।

 *

मंदिर चौसठ योगनी, भेड़ाघाट सुनाम।

तेवर में माँ भगवती, त्रिमुख रूप सुख धाम।।

 *

पहलगांव में फिर दिया, आतंकी ने घाव।

भारत को स्वीकार यह, नर्किस्तानी ताव।।

 *

भारत को सुन व्यर्थ ही, दिलवाता है ताव।

फिर से यदि हम ठान लें, गिन न सकेगा घाव।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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