श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता श्राद्ध !!”।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 193 ☆

☆ # “श्राद्ध !!” # ☆

एक वृद्ध दंपति ने

अपने इकलौते पुत्र को

अपने पास बुलाया

अपने मन की बात समझाया

तुम हमारी इकलौती औलाद हो

इस सारी संपत्ति के मालिक

हमारी मरने के बाद हो

हमने उम्र भर परिश्रम कर

इसे जोड़ा है

माना बहुत ज्यादा नहीं

पर तुम्हारे लिए

पर्याप्त छोड़ा है

हमारी तुमसे एक

शिकायत है

तुमसे कहनीं

जरूरी बात है

 

तुम्हारी पत्नी ने हमारा

कभी सम्मान नही किया

खुशी खुशी, आदरपूर्वक

हमारा नाम नहीं लिया

तीज त्योहारों पर

हमसे कभी

आशीर्वाद नहीं लिया

हमारे साथ बैठकर

परिवार की तरह

सुख दुःख की

चर्चा नहीं किया

बताओ हमने

ऐसा क्या गुनाह किया है ?

हमारे पोते को

हमसे कई बार मिलने

नहीं दिया है ?

 

हमें तिरस्कृत कर

हमारी अवहेलना की है

हम अवांछित हैं

कहकर गाली दी है

हम उम्र के आखिरी

पड़ाव पर

मन मसोसकर जी

रहे हैं

पुत्र प्रेम के मोह में

जीते जी

जहर पी रहे हैं

पता नही

अभी और कितना

अपमानित होना बाकी है

इन सब कृत्यों की

हमारी नजर में

नहीं कोई माफी है

 

जीते जी कुछ मीठे बोल

और प्यार को

कब तक तरसाओगे ?

मरने के बाद

दिखावे का पाखंड कर

पंच पकवान हम पर

क्यों बरसाओगे ?

यह जीवन

आज और कल का

बोलता हुआ दर्पण है

जहां श्रध्दा ना हो

प्यार ना हो

सम्मान ना हो

वो जीते जी 

और मरने के बाद भी

व्यर्थ किया हुआ तर्पण है

 

बेटे-

हमें बहुत कुछ सहना

पड़ रहा है

मजबूरी में दुखी होकर

कहना पड़ रहा है

हमारी अंतिम इच्छा है

तुम मरने के बाद

मां-बाप को कभी

याद नहीं करोगे ?

हमारे मरने के बाद

हमारा कभी

श्राद्ध नहीं करोगे?

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments