श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एबाल कविता – “कंप्यूटर मोबाइल के खेल…)

☆ तन्मय साहित्य  #237 ☆

☆ बाल कविता – कंप्यूटर मोबाइल के खेल ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

कंप्यूटर मोबाइल ने ये

क्या-क्या खेल निकाले।

हम  बच्चों के बने  खिलौने,

जो चाहें सो पा लें।।

*

बिल्ली एक नहाती है

शावर स्वयं चलाती है

बदन पोंछ कर फिर अपना,

होले से मुस्काती है

आँख मूँद फिर ध्यान लगा

चूहों पर डोरे डाले।

कंप्यूटर मोबाइल ने……

*

एक  कार  रफ्तार से

चली जा रही प्यार से

पीछे दूजी कार लगी

दोनों को  डर हार से,

भाग दौड़ में टकरा जाए

किसको कौन सँभाले।

कंप्यूटर मोबाइल ने…….

*

मछली की निगरानी में

भैंस  तैरती पानी में

कछुए ने ली टाँग पकड़

मेंढक  है  हैरानी  में

मगरमच्छ बीमार हुआ

पड़ गए दवा के लाले।

कंप्यूटर मोबाइल ने…….

*

संसारी या जोगी है

मोबाइल के रोगी हैं

मम्मी पापा के सँग अपनी

ये पैसेंजर बोगी है,

बिना रिजर्वेशन के इनकी

सिंपल टिकट कटा लें।

कंप्यूटर मोबाइल ने ये

क्या-क्या खेल निकाले।।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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