डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  प्रदत्त शब्दों पर भावना के दोहे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 235 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

कटे पेड़,अब है नहीं, शीतल ठंडी छाँव।

तेज भानु का है बढ़ा, पलट गया है दाँव।।

*

हर युग की पीड़ा रही, रहा मिलन का राग।

योग  न बन पाया कभी, नहीं नदी का भाग।।

*

पेड़ों की रक्षा करो, मत लो इनकी जान।

मिलता है संसार को, इनका ही अवदान।।

*

वृक्ष लगाओ नीम का, करो सभी उपयोग।

दवा रूप में कर रहे, औषधिजन्य  प्रयोग।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈


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