श्री आशिष मुळे
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 23 ☆
☆ कविता ☆ “यहाँ भी और वहां भी…” ☆ श्री आशिष मुळे ☆
वहाँ ठहरा यहाँ बरसा
मौसम तो मौसम है
वहाँ जलाती यहाँ डुबाती
बारिश तो बारिश है
यहाँ भी और वहाँ भी….
वहाँ सपनों में यहाँ सच्चाई में
धूप तो धूप है
वहाँ बैठी अकेली यहाँ कब से लापता
छांव तो छांव है
यहाँ भी और वहाँ भी…..
वहाँ आंखो में यहाँ लब्जों में
दर्या तो दर्या है
वहाँ रूह उबलता यहाँ कागज़ गलाता
पानी तो पानी है
यहाँ भी और वहाँ भी…..
वहां भी जिंदगी यहां भी जिंदगी
चाहत उसकी निशानी है
वहां भी मौत यहां भी मौत
सेज चिता की अग्नि है
यहाँ भी और वहां भी……
© श्री आशिष मुळे
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈