श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# पानी के रंग…  #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 91 ☆

☆ # पानी के रंग… # ☆ 

पानी का जो बहाव है

वो जीवन के भाव है

कहीं पर हैं तेज रफ्तार

तो कहीं पर ठहराव है

 

छोटे छोटे झरने राह में मिलते है

खड़ खड़ करते संग संग बहते हैं

जीवन का संगीत मिलकर रचते है

बहना ही जीवन है सबसे कहते हैं

 

झरनों से उठता हुआ संगीत

पत्थरों से टकराकर

फूटते मधुर गीत

कितने कर्णप्रिय है

यह झूमते तराने

प्रीत के मिलन की

यही है रीत

 

यह नजारे मन को लुभाते हैं

यह पल जीवन में

कभी कभी आते हैं

निसर्ग की गोद में

असंख्य नजराने है

जो इससे समरस हो

वें ही इन्हें पाते हैं

 

रिमझिम रिमझिम

बरसती फुहारे हैं 

कितने नयनाभिराम

रंगीन नजारे हैं 

डूबकर जी, इन लम्हों को

कितने दिलकश

कितने प्यारे प्यारे हैं/

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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