डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  “भावना के मुक्तक। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 127 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के मुक्तक ☆

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

लहर उठती है सागर में किनारों से वो मिल जाए।

असर दिल पे जो होता है इशारों में वो कह जाए।

दिलवालों से पूछो तो लगन दिल की ये कैसी है।

मिलन दिल का जो होता है वो चेहरा बता जाए।।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

कहानी ये मैं कहता हूँ तुझे मैं ये सुनाता हूँ ।

तेरे गीतों में जादू है उसे मैं गुनगुनाता हूँ ।

तेरी धड़कन जो कहती है उसे मैंने ही समझा है।

नहीं शिकवा कोई तुझसे शिकायत मैं बताता हूं।।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

प्रेम है लाजमी जिंदगी के लिए।

तुम समर्पण करो बंदगी के लिए।

जिंदगी तो अकेले  ही निभती नहीं

हमसफ़र चाहिए जिंदगी के लिए।।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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