श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है दोहाश्रित सजल “पीढ़ियों को दे रहा जो फल निरंतर… । आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 29 – सजल – पीढ़ियों को दे रहा जो फल निरंतर… 

समांत- अना

पदांत- – है

मात्राभार- 21

 

आंँधियों से जूझ कर ही वह तना है।

काटना उस वृक्ष को बिल्कुल मना है।।

 

छा गईं हरियालियाँ देखो चतुर्दिक

जिंदगी को साँस देने तरु बना है ।

 

पीढ़ियों को दे रहा जो फल निरंतर,

वह कुल्हाड़ी देखकरअब अनमना है।

 

तप रही धरती उबलते तापक्रम से

रोपना है पौधों को बस कामना है।

 

जब धरा की गोद का शृंगार होगा,

स्वस्थ होगी यह प्रकृति सद्भावना है।

 

घूमने जाते हैं पर्यटक देश में,

बिखरी सभी विरासतें सहेजना है ।

 

वृक्षों से वरदान जगत को है मिला ,

मिली सम्पदा ईश की समेटना है।

 

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

30 अगस्त 2021

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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