आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताeह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी  द्वारा रचित होली पर्व पर एक रचना   ‘होली के रंग छंदों के संग’। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 48 ☆ 

☆ होली पर्व विशेष –होली के रंग छंदों के संग ☆ 

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 हुरियारों पे शारद मात सदय हों, जाग्रत सदा विवेक रहे

हैं चित्र जो गुप्त रहे मन में, साकार हों कवि की टेक रहे

हर भाल पे, गाल पे लाल गुलाल हो शोभित अंग अनंग बसे

मुॅंह काला हो नापाकों का, जो राहें खुशी की छेंक रहे

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चले आओ गले मिल लो, पुलक इस साल होली में

भुला शिकवे-शिकायत, लाल कर दें गाल होली में

बहाकर छंद की सलिला, भिगा दें स्नेह से तुमको

खिला लें मन कमल अपने, हुलस इस साल होली में

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करो जब कल्पना कवि जी रॅंगीली ध्यान यह रखना

पियो ठंडाई, खा गुझिया नशीली होश मत तजना

सखी, साली, सहेली या कि कवयित्री सुना कविता

बुलाती लाख हो, सॅंग सजनि के साजन सदा सजना

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नहीं माया की गल पाई है अबकी दाल होली में

नहीं अखिलेश-राहुल का सजा है भाल होली में

अमित पा जन-समर्थन, ले कमल खिल रहे हैं मोदी

लिखो कविता बने जो प्रेम की टकसाल होली में

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ईंट पर ईंट हो सहयोग की इस बार होली में

लगा सरिए सुदृढ़ कुछ स्नेह के मिल यार होली में

मिला सीमेंट सद्भावों की, बिजली प्रीत की देना

रचे निर्माण हर, सुख का नया संसार होली में

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न छीनो चैन मन का ऐ मेरी सरकार होली में

न रूठो यार! लगने दो कवित-दरबार होली में

मिलाकर नैन सारी रैन मन बेचैन फागुन में

गले मिल, बाॅंह में भरकर करो सत्कार होली में

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नैन पिचकारी तान-तान बान मार रही, देख पिचकारी मोहे बरजो न राधिका

आस-प्यास रास की न फागुन में पूरी हो तो मुॅंह ही न फेर ले साॅंसों की साधिका

गोरी-गोरी देह लाल-लाल हो गुलाल सी, बाॅंवरे से साॅंवरे की कामना भी बाॅंवरी

बैन से मना करे, सैन से न ना कहे, नायक के आस-पास घूम-घूम नायिका

मीरा की मुस्कान बन सके

बंसी-ध्वनि सी बानी दे दो

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©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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