श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी   की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है। हमारा विनम्र अनुरोध है कि  प्रत्येक व्यंग्य  को हिंदी साहित्य की व्यंग्य विधा की गंभीरता को समझते हुए सकारात्मक दृष्टिकोण से आत्मसात करें। आज प्रस्तुत है आपका एक समसामयिक विषय पर आधारित व्यंग्य टूटी टांग और चुनाव। )  

विश्व कविता दिवस पर जीवन की कविता – – –

☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 88

☆ विश्व कविता दिवस विशेष – जीवन – प्रवाह ☆

सबसे बड़ी होती है आग ,

और सबसे बड़ा होता है पानी ,

 

तुम आग पानी से बच गए ,

तो तुम्हारे काम की चीज़ है धरती ,

 

धरती से पहचान कर लोगे ,

तो हवा भी मिल सकती है ,

 

धरती के आंचल से लिपट लोगे ,

तो रोशनी में पहचान बन सकती है ,

 

तुम चाहो तो धरती की गोद में ,

पांव फैलाकर सो भी सकते हो ,

 

धरती को नाखूनों से खोदकर ,

अमूल्य रत्नों भी पा सकते हो ,

 

या धरती में खड़े होकर ,

अथाह समुद्र नाप भी सकते हो ,

 

तुम मन भर जी भी सकते हो ,

धरती पकडे यूं मर भी सकतेहो ,

 

कोई फर्क नहीं पड़ता ,

यदि जीवन खतम होने लगे ,

 

असली बात तो ये है कि ,

धरती पर जीवन प्रवाह चलता रहे ,

 

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares
3 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Shyam Khaparde

शानदार रचना भाई