डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण कविता “जिंदगी। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 86 – साहित्य निकुंज ☆

☆ जिंदगी ☆

जिंदगी की किताब

बहुत कुछ बोलती है

सुख और दुख के

पन्ने खोलती है।

जिंदगी में

बहुत कुछ घटता है

मन को कुछ भा जाता है

तो

तारीफों का मौसम आ जाता है

यदि कभी कोई  सुई चुभ जाती है.

तो तानों की बिजली गिर जाती है

जिंदगी के पन्ने पलटते जाते हैं

इस जीवन से इस जीवन में

न कुछ पाया जा सकता है

न कुछ ले जाया जा सकता है

फिर भी व्यक्ति का मानस

चिंतन में डूबा रहता है

जिंदगी है ही ऐसी

जो हर पल घटती ही जाती है

जिंदगी के पल में

लगने न दो टाट के पैबंद

देखो कहीं न कहीं

निकल ही आए खुशियों के लम्हे

खुशियां उधार ही जीना है तुम्हें

उन खुशियों के पल को

रखना है संभाल

जो है बस यही है जीवन

 

न रखना है कोई ख्वाहिशें

सभी की ख्वाहिशें

होती है बड़ी

आपस में लगती है होड

जीवन की किताब है बेजोड़

जीवन आनी जानी है

यही जिंदगी की कहानी है…………………..

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares
3 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Shyam Khaparde

जीवन के बारे में सुंदर अभिव्यक्ति