डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  एक भावप्रवण  कविता “माहिया । ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 84 – साहित्य निकुंज ☆

☆ माहिया ☆

खामोशी गुनती है

क्या कहना है वो

शब्दों को चुनती है।

 

खामोशी कहती है

पिया तुम तो मेरे

रग रग में बहती हो।

 

खामोशी प्यारी है

चुप चुप रहकर वो

दुनिया में न्यारी है।

 

खामोशी क्या कहती

तेरे दिल में जो

आंखें ही वो पढ़ती।।

 

जन्मों की  कहानी है

माहिया तु है तो

हर रुत सुहानी है।

 

यादों का दरिया है

माहिया तु ही तो

मिलने का जरिया है।

 

फुर्सत है कहां तुम्हें

आए तुम तो नहीं

अब तुमसे क्या कहें

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Dr Kamna tiwari shrivastava

खामोशी …… वाह

Shyam Khaparde

सुंदर रचना