श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी   की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है । आज प्रस्तुत है  आपकी एक भावप्रवण कविता   सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार एवं साहित्यकार श्री रमेश  सैनी जी का साक्षात्कार। ) 

☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 85

☆ कविता – वे रोते नहीं ☆

लड़कियां

रो देतीं हैं

छोटी छोटी

बात पर,

 

लड़के

अपना दुख

दिखाते नहीं

हर बात पर

 

लड़कियां

आंसू लिए

बैठीं मिलतीं हैं

हर घाट पर

 

लड़के

आंख के आंसू

पी जाते हैं

बात बात पर

 

लड़कियां

घबड़ा जाती हैं

छोटी छोटी

बात  पर

 

लड़के

जिम्मेदारियां ढोते हैं

हारते नहीं,

बड़ी बात पर

 

लड़कियां

दुख बहा

आतीं हैं

नदी घाट पर

 

लड़के

रोते नहीं

दुख भरे

हाल पर

 

लड़के

हिम्मत देते हैं

रोते नहीं

बिगड़ी बात पर

 

लड़कियां

भूख से लड़कर

हंस लेतीं हैं

बात बात पर

 

लड़के

सहमे सहमे

सकुचाते रहेंगे

भूख की बात पर

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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जयेश वर्मा

जो कहकर हल्के हो गये,हंसे जिये ज़िन्दगी सालों साल,
चुप रहे दिल मे रखे,कहते रहे,ज़िन्दगी मटियामेट हमार,
~जयेश वर्मा
वाह,बधाई पांडेय जी..?????

Shyam Khaparde

पांडे जी शानदार कविता, बधाई