श्री संजय भारद्वाज 

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )

? प्रथम पूज्य, गजानन, श्रीगणेश को नमन ?

….एक अनुरोध, वाचन संस्कृति का निरंतर क्षय हो रहा है। श्रीगणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक किसी एक पुस्तक / ग्रंथ का अध्ययन करने का संकल्प करें। प्रतिदिन कुछ पृष्ठ पढ़ें और मनन करें। महर्षि वेदव्यास के शब्दों को ‘महाभारत’ के रूप में लिपिबद्ध करने वाले, कुशाग्रता के देवता के प्रति यह समुचित आदरभाव होगा।

? श्रीगणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ?

…..एक अनुरोध और, त्योहार पारम्परिक रूप से एवं सादगी से मनाएँ। साज-सज्जा भारतीय संस्कृति के अनुरूप तथा पर्यावरण स्नेही रखें।

 – संजय भारद्वाज

? संजय दृष्टि – खेल ?

शब्द पहेली,

सुडोकू,

अल्फाबेटिक क्विज,

बिल्ट योअर वोकेबुलरी,

अक्षर से खेलना;

शब्द से खेलना;

ब्रह्म से खेलना,

कौन कहता है;

केवल ब्रह्म ही

मनुष्य से खेलता है?

 आपका दिन सार्थक हो ?

©  संजय भारद्वाज

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार  सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय  संपादक– हम लोग  पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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माया कटारा

गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ,
अनंत मंगलमय कामनाएँ ,चराचर में व्याप्त गणपति को नमन