श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “सपनों के सौदागर …“।)
अभी अभी # 690 ⇒ सपनों के सौदागर
श्री प्रदीप शर्मा
हम नींद में सपने देखते हैं, जब हमारा मन सो जाता है और अवचेतन मन जाग उठता है। उसका काम ही सपने देखना है, जिसका हमारे चेतन संसार से कोई लेना देना नहीं होता। सपने सभी देखते हैं, कुछ भूल जाते हैं, तो कुछ याद रह जाते हैं। हमारे सपनों पर केवल हमारे अवचेतन मन का अधिकार होता है।
कोई दूसरा व्यक्ति आपके सपनों को नहीं देख सकता। सभी सपनों का कॉपीराइट आपके ही पास होता है। सपनों को कोई ना तो चुरा सकता है और ना ही उन पर डाका डाल सकता है, क्योंकि नींद खुलते ही सभी सपने अदृश्य हो जाते हैं।
अक्सर लोग हमारी नींद चुरा लेते हैं, यानी एक तरह से सपने देखने में बाधा पहुंचा सकते हैं, लेकिन हमारे सपनों तक उनकी कभी पहुंच नहीं हो सकती। फिर भी होते हैं कुछ लोग, जो सपनों के सौदागर कहलाते हैं और हमें सच्चे झूठे सपने बेचा करते हैं।
जो काम स्वप्न में भी संभव नहीं हो सकता, उसके वे खुली आँखों से सपने दिखाते हैं।।
हम जानते हैं, सपने कभी सच नहीं होते, फिर भी इन सपनों के सौदागरों के हाथ अपना वर्तमान और भविष्य सौंप देते हैं। सपने देखना अपराध नहीं, लेकिन किसी के द्वारा दिखाए मीठे मीठे सपनों पर भरोसा कर लेना केवल मूर्खता ही नहीं, ईश्वर की नियति के साथ खिलवाड़ करने का गंभीर अपराध भी है।
बहुत देख लिए हमने इन सपनों के सौदागरों द्वारा दिखाए गरीबी हटाने, भ्रष्टाचार मिटाने और रामराज्य वापस लाने के सपने। अब तो हमारी आँखें खुल जानी चाहिए। यह जानते हुए भी कि कभी सपने सच नहीं होते, खुली आंखों से दिखाए सपनों से हमें सावधान रहना होगा।।
केवल हमारा संयुक्त प्रयास ही हमारी सभी समस्याएं दूर कर सकता है, कोई सौदागर जादू की छड़ी घुमाकर अथवा झूठे सपने दिखाकर अब हमें बहला फुसला और बहका नहीं सकता है। सपनों और सपनों के सौदागरों से कोसों दूर रहें और केवल अपनी बुद्धि, विवेक, पुरुषार्थ एवं सुधार के लिए केवल सामूहिक प्रयासों पर ही यकीन करें।
उम्मीद है यह कोई सपना नहीं होगा, हमारे बीच में कोई सपनों का सौदागर नहीं होगा, क्योंकि हम पूरी तरह से नींद से जाग चुके हैं, पूरी तरह से होश में आ चुके हैं, अलविदा हमारे सपने और सपनों के सौदागर।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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