श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “पंचवटी…“।)
अभी अभी # 686 ⇒ कुछ क्षणिकाएं
श्री प्रदीप शर्मा
हम कुर्सी पर बैठ गए
तो तर गए
इतने भोले भी नहीं कि,
कहा और उतर गए
*
आप और नास्तिक ?
धोती, कुर्ता,चोटी,
टोपी यकीन नहीं होता.
कसम भगवान की, मैं नास्तिक हूं,
वे बोले ..!!
*
हम इतने भी अंधे नहीं,
कि सबको रेवड़ियाँ बांटे!
अपनों को तो हम
सूखे मेवे भी बांटते हैं …!
*
सृजन रे झूठ मत बोलो।
न प्रसिद्धि है
न पुरस्कार है
वहाँ पैदल ही जाना है…
*
© श्री प्रदीप शर्मा
संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर
मो 8319180002
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈