श्री राजेश कुमार सिंह ‘श्रेयस’
☆ आलेख ☆
☆ ~ लखनऊ के बड़ा मंगल हनुमान जी की आराधना का विशेष पर्व ~ ☆ श्री राजेश कुमार सिंह ‘श्रेयस’ ☆
मुझे ऐसा उत्सव पूरे हिंदुस्तान में कहीं नहीं दिखाई नहीं देता। श्री हनुमान जी आम जनमानस के सबसे लोकप्रिय एवं अटूट विश्वास के देवता है। यह बात सनातन संस्कृति से संबंध रखने वाले लगभग प्रत्येक भारतीय को भलीभांति ज्ञात है।
हिन्दू ही नहीं बल्कि अन्य धर्म -संप्रदाय के लोगों के मुंह से भी मैंने श्री हनुमान जी के विषय में जानते – कहते सुना है। अक्सर लोगों के द्वारा मैंने कहते सुना है कि भारत के हिन्दू समाज को वेद -वेदांत अन्य धर्म ग्रंथ का बहुत कुछ याद रहे या न रहे, श्री हनुमान चालीसा तो हर किसी को याद रहता ही रहता है।
व्यक्ति पूरा हनुमान चालीसा न पढ पावे तो भी कुछ पंक्तियां उन्हें याद रहती ही रहती हैं।
संकट काल में हनुमान जी को याद करके बड़े से बड़े विघ्न को स्वत: समाप्त कर लेने की क्षमता भारतीय जनमानस में रची -बसी है। हनुमान जी के विषय में कहा जाता है कि वह अतुलित बल के धाम और विद्या और ज्ञान के सागर हैं। लेकिन उन्हें उनकी विद्या को याद दिलाने की आवश्यकता साथ सदैव रही है। जैसा कि जामवंत जी ने हनुमान जी को उनकी बुद्धि और उनके बल को जब याद दिलाया तो वे विशाल समुंदर लांघ गए।
कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि यह बात सिर्फ हनुमान जी पर लागू नहीं होती है। बल्कि हर हनुमान भक्त के ऊपर भी लागू होती है।
विदेशी मूल के बहुत सारे लोगों के विषय में मैंने सुना है कि वे नीम करोली बाबा के बड़े भक्त एवं अनुयायी है। हनुमान जी के भक्ति और चमत्कार के विषय में मैंने बहुत सारे लोगों के मुंह से कई कथाएं – घटनाक्रम सुनी है।
अब मैं लखनऊ और हनुमान जी की बात करता हूँ। श्रीहनुमान जी का और लखनऊ का बड़ा ही प्राचीन और आस्था विश्वास भरा नाता है। अवध के नवाब की हनुमत भक्ति, अलीगंज का हनुमान मंदिर, तथा लखनऊ के बड़े मंगल का महात्म्य इसका परिचायक है।
जैसा कि मैंने वर्ष 2013 लिखें अपने एक लेख “लखनऊ का बड़ा मंगल विशेष” जिसे मैं अपनी पुस्तक मानस में गुरु गंगा महिमा में स्थान दिया है को लिख चुका हूँ।
इसके अनुसार हमें लखनऊ में जगह-जगह पर श्रीहनुमान मंदिर दिख जाएंगे। श्री रामजानकी और लक्ष्मण जी के विग्रह से ज्यादा विग्रह एवं मंदिर श्रीहनुमान जी के मिलते हैं। श्रीहनुमान जी के मंदिरों में मूल विग्रह हनुमान जी का होता है, लेकिन वहां श्री राम दरबार की झांकी भी होती है।
आम भारतीय के जीवन में कुछ एक ऐसी समस्याएं हैं जो लगभग आती ही आती है। हनुमान जी के आराधना के महामंत्र हनुमान चालीसा में इन सारी समस्याओं का हल भरा पड़ा है।
इस संदर्भ में मैं हनुमान चालीसा की कुछ पंक्तियों को उद्धरित करता हूं –
जय जय जय हनुमान गोसाई। कृपा करहुँ गुरुदेव की नाई। ।
भूत-पिशाच निकट न आवे। महावीर जब नाम सुनावे।।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा। ।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते। ।
संकट ते हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै। ।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै। ।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता। ।
संकट कटै मिटे सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा। ।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदी महा सुख होई। ।
जो यह पढे हनुमान चलीसा। होहि सिद्ध साखी गौरीसा। ।
श्री हनुमान चालीसा की ये ऐसी चौपाइयां है जो हमारी आम समस्याओं का सरल समाधान है, ऐसा हनुमान भक्तों का मानना है।
अपनी दादी आलिया बेगम के बीमार होने और उसके बाद हनुमान जी की कृपा से स्वस्थ होने के बाद लखनऊ के नवाब का हनुमान प्रेम बढ़ जाता है। जेष्ठ माह का महीना वास्तव में बहुत गर्म महीना होता है और प्राचीन काल में पदयात्राओं का प्रचलन था। लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर पैदल, ऊंट गाड़ी घोड़ा गाड़ी, या बैलगाड़ी से जाते थे। व्यापार भी लगभग इसी तरह से होता था। कहते हैं कि लखनऊ से गुजरने वाले इन यात्रियों को जेष्ठ के महीने में पानी पिलाने की परंपरा इस शहर में थी। इस शहर का श्रीहनुमान प्रेम सर्वविदित है। इस कारण सैकड़ो बरसों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भंडारे के रूप में जगह-जगह पर जेठ के सभी मंगल में पंडाल सजाए जाते रहे हैं। पंडाल में श्री हनुमान जी की तस्वीर या विग्रह रखकर लोग बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ लोगों को हनुमान जी के प्रिय प्रसाद का भोग लगाकर भक्तों के बीच वितरण करते हैं। पूरे जेष्ठ भर सभी मंगलवार को (अब तो कई जगह पर पूरे महीने) लखनऊ में हनुमान जी का यह उत्सव होता है। मुझे लगता है कि लखनऊ को छोड़कर पूरे भारत में हनुमान जी से जुड़ा हुआ यह जेष्ठ के बड़े मंगल जैसा त्यौहार कहीं नहीं मनाया जाता है। हालांकि अब लखनऊ से जुड़े हुए शहरों में जैसे रायबरेली, बाराबंकी, उन्नाव आदि में भी बड़ा मंगल मनाने की परंपरा प्रारंभ हो गई है। बड़े मंगल के भंडारे की एक विशेषता यह भी है कि इस भंडारे का प्रसाद हर कोई ग्रहण करना चाहता है। चाहे वह कितने भी बड़े ओहदे पर क्यों न हो। लोग अपनी गाड़ी रोक कर लाइन में लगकर प्रसाद ग्रहण करतें है। पूरी कद्दू की सब्जी और बूंदी इस भंडारे का मुख्य प्रसाद है। हालांकि आधुनिकता के जमाने में लोग न जाने और क्या-क्या वितरण कर रहे हैं। मैंने एक भंडारे में बोरा भर के चिप्स मंगाया गया था और उसको बांटते हुए मैंने देखा था। इसे देखकर मुझे खुशी भी हुई, वहीं कुछ हास्यास्पद भी लगा।
खैर इस बड़े मंगल में श्री हनुमान जी के भंडारे में श्रद्धारूप में जल प्रसाद से चलकर छप्पन किस्म के व्यंजन को वितरित करने की परंपरा है।
13 मई को लखनऊ का प्रथम बड़ा मंगल है। आज इस अवसर पर मैं आप सभी को ह्रदय से बधाई देता हूं और हनुमान जी से प्रार्थना करता हूं कि हे मेरे आराध्य, बल – बुद्धि के देवता आप अपनी कृपा इसी तरह हमारे भारत पर बनाये रखिएगा।
हमारे भारत का मान सम्मान गौरव और प्रतिष्ठा यथावत बना रहे।
श्री हनुमान जी से जुड़े हुए कुश्ती के अखाड़े भी पूरे भारत में है। उदा अखाड़े में कुश्ती होती है। कुश्ती में जब दो प्रतिभागी भाग लेते हैं तो जिनके पीठ में धूल लग जाती है उसे हारा हुआ मान लिया जाता है। आपके भक्त के विषय में कहा जाता है कि जिसके ऊपर हनुमान जी की कृपा होती है उसके पीठ में कभी धूल नहीं लगती है। यानी उसे सर्वदा विजय प्राप्त होती है। हे अंजनेय श्री हनुमानजी, ऐसी ही कृपा हम सभी हनुमान भक्तों एवं हमारे राष्ट्र पर बनाए रखिएगा। जैसा कि मैंने कहा सद्भाव और भाईचारे के मिसाल का यह त्यौहार, सामान्य त्यौहार नहीं बल्कि एक बड़ा उत्सव है, जो समाज को जोड़ता है। हमारी एकता अखंडता शौर्य पराक्रम का प्रतीक है। ऐसे पावन पर्व पर श्री हनुमान जी का वंदन करते हुए, सभी के प्रति धन्यवाद एवं बधाई ज्ञापित करते हैं।
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© श्री राजेश कुमार सिंह “श्रेयस”
लखनऊ, उप्र, (भारत )
दिनांक 22-02-2025
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈