श्री यशोवर्धन पाठक
☆ कवि और पुस्तक चर्चा ☆
☆ सुधारवादी दृष्टिकोण के संवेदनशील कवि श्री आशुतोष तिवारी ☆ श्री यशोवर्धन पाठक ☆
शिक्षक के रुप में राष्ट्र निर्माता के दायित्व का बखूबी निर्वाह करने वाले श्री आशुतोष तिवारी सुधारवादी दृष्टिकोण के संवेदनशील कवि हैं । अध्यापक होने के कारण वे अपने प्रिय छात्रों को ही नहीं बल्कि समाज को भी अपनी कविताओं के माध्यम से प्रेरणा देते हुए नजर आते हैं । उनकी कविताओं में समाज के लिए चुनौतियों का सामना करने के लिए एक सशक्त मार्गदर्शन शामिल है ।भाई आशुतोष तिवारी के काव्यसंग्रह विहान की सारी कविताएं पूरे मनोयोग से पढ़ने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि उनके अंदर एक सिद्धहस्त कवि के सारे गुण मौजूद हैं।उनकी कविताएं रस , छंद, अलंकार की कसौटी पर खरी उतरती हैं। उनके काव्य सृजन में जो विविधता है वह इस बात की परिचायक है कि समाज में जो कुछ भी घटित हो रहा है उस पर उनकी पैनी नजर है। उनकी कविताओं में एक ओर जहां पर्व का उल्लास है वहीं दूसरी ओर शोषित वंचित वर्ग की पीडा भी महसूस की जा सकती है। अपने प्रथम काव्य संग्रह से ही उन्होंने खुद को यश अर्जन का अधिकारी बना लिया है। विहान में शामिल एक कविता की निम्नलिखित पंक्तियां कवि आशुतोष तिवारी का परिचय देने के लिए पर्याप्त हैं –
शब्दों के मोती से अनगढ़,
चित्रित होते मन विचार हैं।
वर्तमान के संग संग चलते,
और भविष्य का समयसार हैं।
कृति के संबंध में वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपनी प्रतिक्रियायों में संग्रह की रचनाओं को रोचक और पठनीय बताया है । देश के सुप्रसिद्ध कवि आचार्य श्री भगवत दुबे जी ने लिखा है कि आशुतोष ने अनेक विषयों को छुआ है।इनका भाव पक्ष प्रबल है, शैली सरल है, वैविध्य की व्यापकता ही इस कृति का सुफल है । शिक्षाविद डा. अरुणा पांडेय का मत है कि सरल शब्दों में सहजता से आशु ने विभिन्न भावों पर , विषयों पर अपनी बात, अपने विचार रखे हैं । जानकी रमण कालेज के प्राचार्य डा. अभिजात कृष्ण त्रिपाठी का सोचना है कि यह काव्य संग्रह दर्शन, उल्लास और नव शिल्प का कोष है । सुप्रसिद्ध महिला साहित्यकार और शिक्षाविद डा. संध्या जैन श्रुति लिखती हैं कि कर्तव्य के प्रति सजग रचनाकार ने जो लिखा है वह आज सभी के लिए चिंतन का विषय है ।
मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान पाथेय ने लगभग चार दशक पूर्व श्रेष्ठ हिन्दी साहित्य के प्रकाशन की जो श्रंखला प्रारंभ की थी उसे साहित्य प्रेमियों ने भरपूर सम्मान और स्नेह प्रदान किया है। इस श्रृंखला की नवीनतम कड़ी के रूप में साहित्य साधक एवं समर्पित शिक्षाविद श्री आशुतोष तिवारी की काव्य कृति ‘विहान’ के प्रकाशन के लिए भी वह निसंदेह साधुवाद का अधिकारी है। मुझे विश्वास है कि पाथेय के सभी प्रकाशनों की भांति यह कृति भी साहित्य जगत में विशिष्ट स्थान अर्जित करने में सफल होगी।
(काव्य कृति विहान के विमोचन अवसर पर)
© श्री यशोवर्धन पाठक
पूर्व प्राचार्य, राज्य सहकारी प्रशिक्षण संस्थान, जबलपुर
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈