डॉ निशा अग्रवाल

☆  कविता – नारी सौंदर्य ☆ डॉ निशा अग्रवाल ☆  

चाँद को चिन्हित करती है, उसकी चांदनी।

सूरज को चिन्हित करती है दिन की रोशनी।।

 

नारी को चिन्हित करती है उसकी खूबसूरती ।

उसकी आँखों से झलकती है उसकी खूबसूरती।।

उसकी जुल्फों से महकती है उसकी खूबसूरती।

उसकी हर अदा में छिपी रहती है उसकी खूबसूरती।।

उसके आंचल से लहराती है उसकी खूबसूरती।

चाँद ——————————-

 

नारी का अपना स्वाभिमान भी है एक खूबसूरती।

समाज में कदम से कदम मिलाकर

आगे बढ़ने की ललक भी है एक खूबसूरती।।

नारी का शैक्षिक स्तर भी है एक खूबसूरती।

नारी का तेज होना भी है एक खूबसूरती।।

चाँद —————————–

 

धर्मत्व की भावना भी है एक खूबसूरती।

तेजस्व की भावना भी है एक खूबसूरती।।

नारी का दुर्गास्वरूप रूप भी है एक खूबसूरती।

नारी का अभिमान भी है एक खूबसूरती।।

चाँद को चिन्हित करती है उसकी चांदनी।

सूरज को चिन्हित करती है दिन की रोशनी।।

 

©  डॉ निशा अग्रवाल

जयपुर, राजस्थान

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Dr Nisha Agarwal

सधन्यवाद एवं अनंत आभार आदरणीय जी

Diwanshi Agrawal

Very Nice?

देवेन्द्र कुमावत

नारी सौंदर्य का सजीव चित्रण, बहुत बेहतरीन

Ajoy calla

Bahut khoobsoorat rachna

ARUN AGRAWAL

शानदार??