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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी की कहानियाँ  ‘कलम की पूजा’ और ‘मोक्षदायिनी शिप्रा की कहानी’ पाठ्यक्रम में शामिल, अभिनंदन

रतनगढ़/ नीमच (निप्र)। देश के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ की लेखनी ने एक बार फिर साहित्य जगत में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उनकी कालजयी गद्य रचनाएँ कलम की पूजा और शिप्रा की आत्मकथा अब देश भर के स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगी। न्यू सरस्वती हाउस प्राइवेट लिमिटेड की कक्षा-5 और कक्षा-8 की आगामी पाठ्यपुस्तक शृंखला में इन रचनाओं को शामिल किया गया है, जो देश और मध्य प्रदेश के लिए गर्व का क्षण है।

शिप्रा की आत्मकथा जो पवित्र नदी शिप्रा के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है, बच्चों को न केवल साहित्यिक संवेदनशीलता से जोड़ेगी, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति की गहराइयों से भी परिचित कराएगी। दूसरी ओर, कलम की पूजा लेखन की शक्ति और ज्ञान के प्रति श्रद्धा का संदेश देती है। ये दोनों रचनाएँ अपनी गहनता और प्रेरणादायक शैली के लिए जानी जाती हैं, और अब ये स्कूली बच्चों के लिए एक अमूल्य उपहार बनेंगी।

न्यू सरस्वती हाउस, जो शैक्षिक प्रकाशन में अपनी गुणवत्ता के लिए विख्यात है, ने श्री क्षत्रिय की रचनाओं को उनके मौलिक महत्व को पहचानते हुए चुना है। संपादक श्री शशि प्रकाश द्विवेदी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि रचनाओं का कॉपीराइट श्री क्षत्रिय के पास ही रहेगा, और वे भविष्य में इनका उपयोग स्वतंत्र रूप से कर सकेंगे। प्रकाशन के बाद पाठ्यपुस्तक की प्रतियाँ लेखक को संस्थागत नियमों के अनुसार भेजी जाएँगी। यह पारदर्शी और सम्मानजनक दृष्टिकोण प्रकाशन जगत में एक मिसाल है।

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ने इस सम्मान पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा, “मेरी रचनाएँ, विशेष रूप से शिप्रा की आत्मकथा, जो मेरे हृदय के करीब है, अब बच्चों के बीच जाएँगी। यह मेरे लिए साहित्यिक जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार है। मैं न्यू सरस्वती हाउस का आभारी हूँ कि उन्होंने मेरे शब्दों को इतना बड़ा मंच दिया।”

साहित्य जगत में इस खबर ने उत्साह की लहर दौड़ा दी है। प्रसिद्ध साहित्यकार एवं मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के  निदेशक श्री विकास दवे ने कहा, “ओमप्रकाश जी की रचनाएँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। शिप्रा की आत्मकथा जैसी रचना बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ेगी और कलम की पूजा उन्हें ज्ञान का महत्व सिखाएगी। यह नीमच के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है।”

यह उपलब्धि न केवल श्री क्षत्रिय की साहित्यिक प्रतिभा को रेखांकित करती है, बल्कि छोटे शहरों के लेखकों के लिए एक प्रेरणा भी है। न्यू सरस्वती हाउस की यह पहल स्कूली शिक्षा में साहित्यिक और सांस्कृतिक मूल्यों को समृद्ध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से हार्दिक बधाई! मप्र का यह साहित्यिक रत्न निश्चित रूप से भविष्य में और अधिक ऊँचाइयाँ छूएगा।

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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आपका हर्दिक आभार और साधुवाद आदरणीय