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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 पाथेय संस्था की आयोजना – डॉ.राजकुमार सुमित्र की दो कृतियों का विमोचन 🌹

सार्थक सृजन से मिलती है समाज को प्रेरणा

जबलपुर। डॉ.राजकुमार सुमित्र की कविताऐं मुक्त भावधारा की होते हुए भी छंद के सौंदर्य से रची बसी हैं। आस पास के वातावरण के साथ व्यक्ति के मन की विविधताओं से जुड़ी इन कविताओं का प्रभाव मन को गहरे तक स्पंदित करते हुए सोचने को विवश करता है। ऐसा सृजन जो पाठकों की विचारशीलता को नई दृष्टि प्रदान करे वही सार्थक सृजन होता है। तदाशय के उद्गार कला,साहित्य, संस्कृति को समर्पित पाथेय संस्था के तत्वावधान में कला वीथिका में आयोजित डॉ. सुमित्र की दो कृतियां ‘शब्द अब नहीं रहे शब्द’ एवं ‘आदमी तोता नहीं’ के विमोचन अवसर पर अतिथियों ने व्यक्त किए। समारोह की अध्यक्षता प्रतिष्ठित महाकवि आचार्य भगवत दुबे ने की। मुख्य अतिथि भाजपा नगर अध्यक्ष, पूर्व महापौर प्रभात साहू थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार संजीव वर्मा सलिल एवं अर्चना मलैया रहीं। जिन्होंने कृतियों पर प्रेरक एवं सार्थक समीक्षा की।

प्रारंभ में आयोजन संयोजक राजेश पाठक प्रवीण ने डॉक्टर सुमित्र के व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रकाश डाला सरस्वती वंदना सुश्रीअस्मिता शैली ने प्रस्तुत की। अतिथि स्वागत डॉ.मोहिनी तिवारी, राकेश श्रीवास, डॉ.हर्ष तिवारी, यशोवर्धन पाठक, राजीव गुप्ता ने किया। इस अवसर पर वर्तिका से विजय नेमा अनुज, अमरेंद्र नारायण, अनेकांत से राजेंद्र मिश्रा, डॉ.संध्या जैन श्रुति, आशुतोष तिवारी, हिंदी सेवा समिति से डॉ. सलमा जमाल, मनीषा गौतम, त्रिवेणी परिषद से साधना उपाध्याय, अलका मधुसूदन, चंद्रप्रकाश वेश, बुंदेली संस्कृति परिषद से प्रभा विश्वकर्मा, गुप्तेश्वर गुप्त, गीत पराग डॉ. गीता गीत, से प्रयाग से सशक्त हस्ताक्षर से गणेश प्यासा पाथेय से एच. बी.पालन, डॉ. सुरेन्द्रलाल साहू, डॉ.छाया सिंह, अनिता श्रीवास्तव, आलोक पाठक ने प्रथक-प्रथक मांनपत्र देकर डॉ. सुमित्र को सम्मानित किया। वक्ताओं ने कहा कि काव्य की अनुभूति मंत्र जैसी होती है। मंत्र की जो शक्ति है वैसी ही शक्ति काव्य में होती है। डॉ. सुमित्र ने समसामयिक घटनाओं पर कविताओं के माध्यम से मन की सुप्त चेतना को जागृत किया है। उनका सृजन पीढ़ियों के लिए दिशा बोधक है।

आयोजन की विशेषता रही कि रचनाकार ने दर्शक दीर्घा में उपस्थित होकर अपनी कविताओं के संदर्भ में सुना। समारोह में डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे, डॉ. सलपनाथ यादव, डॉ.अरुण शुक्ल, सुरेश विचित्र, राघुवीर अम्बर,  प्रतिमा अखिलेश, अर्चना द्विवेदी, चंदादेवी स्वर्णकार, एम. एल. बहोरिया, कालिदास ताम्रकार, प्रवीण मिश्रा, अनिमेष शुक्ला, मृदुला दीवान, दीनदयाल तिवारी निरंजन द्विवेदी भी उपस्थित थे।

साभार –  डॉ हर्ष तिवारी 

जबलपुर, मध्यप्रदेश  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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