श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

पुरूषोत्तम योग

(संसार वृक्ष का कथन और भगवत्प्राप्ति का उपाय)

(क्षर, अक्षर, पुरुषोत्तम का विषय)

 

इति गुह्यतमं शास्त्रमिदमुक्तं मयानघ ।

एतद्‍बुद्ध्वा बुद्धिमान्स्यात्कृतकृत्यश्च भारत ।।20।।

 

इस प्रकार यह शास्त्र गुण मुझे बताया पार्थ

जिसे जान सब विज्ञजन लेते अमित कृतार्थ।।20।।

 

भावार्थ :  हे निष्पाप अर्जुन! इस प्रकार यह अति रहस्ययुक्त गोपनीय शास्त्र मेरे द्वारा कहा गया, इसको तत्त्व से जानकर मनुष्य ज्ञानवान और कृतार्थ हो जाता है।।20।।

 

Thus, this most secret science has been taught by Me, O sinless one! On knowing this, a man becomes wise, and all his duties are accomplished, O Arjuna!।।20।।

 

ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुन संवादे पुरुषोत्तमयोगो नाम पञ्चदशोऽध्यायः ॥15॥

 

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए १, शिला कुंज, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

vivek1959@yahoo.co.in

मो ७०००३७५७९८

Please share your Post !

Shares
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments