बाल दिवस विशेष 

सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान”

( सुश्री दीपिका गहलोत ” मुस्कान “ जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आप मानव संसाधन में वरिष्ठ प्रबंधक हैं।  आपने बचपन में ही स्कूली शिक्षा के समय से लिखना प्रारम्भ किया था। आपकी पहली रचना दैनिक भास्कर में 1997 में प्रकाशित हुई थी। इसके अतिरिक्त आपकी रचनाएँ सकाळ एवं अन्य प्रतिष्ठित समाचार पत्रों / पत्रिकाओं तथा मानव संसाधन की पत्रिकाओं  में  भी समय समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। हाल ही में आपकी कविता “Sahyadri Echoes” में पुणे के प्रतिष्ठित काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है। आज प्रस्तुत है बाल दिवस के उपलक्ष में आपकी एक बाल कविता ” बचपन” । हम भविष्य में आपके उत्कृष्ट साहित्य को अपने पाठकों से साझा करने की अपेक्षा करते हैं।

☆ बाल कविता – बचपन  ☆

बचपन मेरा अच्छा था ,

जब मैं छोटा बच्चा था ,

मिट्ठी में खेला करता था ,

फिर भी साफ़ सुथरा रहता था ,

अपनों से लड़ता झगड़ता था ,

पर दिल तो फिर भी दुखता था ,

अकेले मुझे कुछ नहीं भाता था ,

सब के संग ही मन मेरा रमता था ,

मिल जुल कर रहना ही फलता था ,

तेरा मेरा करना तो खलता था ,

चोट औरों को लगती थी ,

दर्द फिर भी मुझे होता था ,

बिन शर्म ही मैं नाचा करता था ,

खुल कर खुशिया बांटा करता था ,

मम्मी पापा का लाड़ला था ,

बिन उनके रहना मुझे नहीं आता था,

सब कुछ बहुत अच्छा था ,

जब मैं अक्ल का थोड़ा कच्चा था ,

बचपन मेरा अच्छा था ,

जब मैं छोटा बच्चा था।

 

© सुश्री दीपिका गहलोत  “मुस्कान ”  

पुणे, महाराष्ट्र

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