हिन्दी साहित्य – कविता ☆ “तन्हा लैंप पोस्ट और बेंच” ☆ श्री संजय सरोज ☆
श्री संजय सरोज
(सुप्रसिद्ध लेखक श्री संजय सरोज जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत। आप वर्तमान में असिस्टेंट कमिश्नर, (स्टेट-जी एस टी ) के पद पर कार्यरत हैं। आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता – “तन्हा लैंप पोस्ट और बेंच”)
☆ कविता ☆ “तन्हा लैंप पोस्ट और बेंच”
तन्हा लैंप पोस्ट,
जिसकी पीली मद्धम रोशनी,
जज्ब हो गई है नीचे काली सड़क में ।
काली सड़क जो ठहर गई है,
गुम हो गई है,
आगे कहीं जाके।
तन्हा बेंच ,
जिस पर किए थे पीढ़ियों ने वादे,
बुने थे सपने, पिरोए थे मोती ।
जिस पर पड़े हैं ,
अब कुछ सूखे फूल, पत्तियां,और गर्द।
इस इंतजार में ,
कि बरसात हो और धुल जाएं खुद लैंप और बेंच ।
इस इंतजार में ,
कि पीढ़ियां करें फिर वादे,
बुने सपने और पिरोए मोती ।
और गवाह बनें लैंप पोस्ट और बेंच फिर से…
© श्री संजय सरोज
नोयडा
मो 72350 01753
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈