श्री अशोक श्रीपाद भांबुरे

☆ कविता ☆ “शिवालय”  ☆ श्री अशोक श्रीपाद भांबुरे ☆

ओ दूर है शिवालय, शिवका मुझे सहारा

शिव के बिना यहा तो, कोई मुझे न प्यारा

जा ना सके वहा तो, दिल में उसे बिठाकर

हर साँस को बनालो, शिव नाम एक नारा

ये जान धूल मिट्टी, आकार तू बनाया

हर एक आदमी को, तूने किया सितारा

कैलाश घर तुम्हारा, दिल मे किया बसेरा

जाने कहा कहा पर, संसार है तुम्हारा

कश्ती तुफान में थी, मैंने तुम्हे पुकारा

आँखे खुली खुली थी, था सामने किनारा

भगवान दान माँगे, मैने नही सुना था

सजदा किया हमेशा, सौदा किया न यारा

© अशोक श्रीपाद भांबुरे

धनकवडी, पुणे ४११ ०४३.

[email protected]

मो. ८१८००४२५०६, ९८२२८८२०२८

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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