॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग # 19 (1 – 5) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -19
रघुवंश के तब जितेन्द्रिय सुदर्शन ने हो वृद्ध ‘अग्निवर्ण’ को राजा बनाया
था अग्नि सा तेज उसका हो आश्वस्त उसे नैमिषारण्य आवास भाया।।1।।
वहां तीर्थजल वावली से सुखद था, बिछी कुश घनी भूमि शैय्या से सुन्दर।
लगी पर्णशाला महल से भी अच्छी, भुला सब इसी से हुये तप में तत्पर।।2।।
पा पिता के उपार्जित राज्य को अग्निवर्ण ने सुखोपभोग साधन बनाया।
है राज कर्तव्य जन-धन सुरक्षा ही शायद ये उसकी समझ में न आया।।3।।
कुछ वर्षों खुद देख शासन व्यवस्था राजा ने सचिवों पै सब भार डाला।
यौवन को अग्निवर्ण ने और अपने केवल रमणियों के लिए ही संभाला।।4।।
मृदंगों की ध्वनि बढ़ चली राज भवनों में उत्सव हुये जो कि होते नहीं थे।
सदा कामनियों की ललित काम क्रीडायें होती थी अग्निवर्ण सोते नहीं थे।।5।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈