श्री जगत सिंह बिष्ट

(Master Teacher: Happiness & Well-Being, Laughter Yoga Master Trainer, Author, Blogger, Educator, and Speaker.)

☆  आपके भीतर क्या चल रहा है? ☆ श्री जगत सिंह बिष्ट ☆ 

एक आत्मीय संवाद – अपने अंगों से

प्रस्तावना: शरीर के संकेतों को समझिए, इससे पहले कि स्थिति बिगड़ जाए

हममें से अधिकतर लोग तब तक अपनी सेहत पर ध्यान नहीं देते जब तक कोई परेशानी सामने न आए। लेकिन सोचिए, अगर हम अपने शरीर की आवाज़ को हर रोज़ थोड़ा-थोड़ा सुनें, उससे प्यार से बात करें, तो क्या हम बीमार होने से पहले ही बेहतर नहीं हो सकते?

हमारा शरीर कई अंगों का एक संगठित समूह है—हर अंग दिन-रात मेहनत करता है ताकि हम जीवन को पूरी ऊर्जा और संतुलन के साथ जी सकें। इस लेख में हम एक आत्मीय यात्रा करेंगे अपने भीतर, और जानेंगे दस अहम अंगों व प्रणालियों की सेहत कैसी होनी चाहिए, उसे और बेहतर कैसे बनाएं, और कब किसी चिकित्सक की सलाह लें।

यह लेख डराने या बोझिल ज्ञान देने के लिए नहीं है। यह एक स्नेहभरा आमंत्रण है—अपने आप से दोस्ती करने का, अपने शरीर को समझने का।

  1. हृदय: शरीर का न थकने वाला पंपिंग स्टेशन

स्वस्थ लक्षण व देखभाल:

अगर सीढ़ियाँ चढ़ने पर आपकी सांस जल्दी नहीं फूलती, आपकी त्वचा में गुलाबी आभा है और मन प्रसन्न रहता है, तो समझिए आपका हृदय खुश है। नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार, शांत निद्रा और तनाव का प्रबंधन– जैसे योग, ध्यान या हास्ययोग– हृदय की रक्षा करते हैं।

डॉक्टर से कब मिलें:

अचानक थकावट, सांस फूलना, पैरों में सूजन, या सीने में भारीपन—ये संकेत हैं कि दिल को आराम नहीं मिल रहा। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।

  1. जिगर (लिवर): मौन साधक

स्वस्थ लक्षण व देखभाल:

अगर पाचन ठीक है, थकान नहीं होती, और त्वचा साफ है, तो समझिए आपका जिगर अच्छा काम कर रहा है। इसे हल्का भोजन, शराब से परहेज, हल्दी, आंवला और हरी सब्जियों से मज़बूत बनाएं।

डॉक्टर से कब मिलें:

त्वचा या आंखों में पीलापन, गहरे रंग का मूत्र, पेट में भारीपन या थकावट—ये लिवर की परेशानी के संकेत हो सकते हैं।

  1. गुर्दे (किडनी): शरीर की प्राकृतिक छन्नी

स्वस्थ लक्षण व देखभाल:

पानी जैसा साफ़ मूत्र, आंखों में ताजगी और पैरों में सूजन का न होना, यह दर्शाता है कि गुर्दे ठीक हैं। पर्याप्त पानी पीना, नमक का सीमित सेवन और ब्लड प्रेशर व शुगर को नियंत्रित रखना आवश्यक है।

डॉक्टर से कब मिलें:

झागदार मूत्र, बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में, या टखनों में सूजन—ये चेतावनी के संकेत हैं।

  1. फेफड़े: सांसों के प्रहरी

स्वस्थ लक्षण व देखभाल:

गहरी सांस ले पाना, दौड़ने-भागने के बाद जल्दी थकावट न होना, यह बताता है कि फेफड़े स्वस्थ हैं। ताज़ी हवा, प्राणायाम और धूम्रपान से दूरी फेफड़ों को ताकत देते हैं।

डॉक्टर से कब मिलें:

लगातार खांसी, सांस लेने में कठिनाई या सीने में जकड़न—ये फेफड़ों से जुड़ी दिक्कत के संकेत हो सकते हैं।

  1. थायरॉयड: मौन नियंत्रक

स्वस्थ लक्षण व देखभाल:

अगर वजन स्थिर है, ऊर्जा बनी रहती है, और मन में संतुलन है, तो थायरॉयड अच्छा काम कर रहा है। सीफ़ूड, मेवे और तनाव-मुक्त जीवन इसे स्वस्थ रखते हैं।

डॉक्टर से कब मिलें:

वजन का अचानक बढ़ना या घटना, बाल झड़ना, थकावट या मूड में उतार-चढ़ाव—ये थायरॉयड असंतुलन का संकेत हो सकते हैं।

  1. अग्न्याशय (पैंक्रियास): रक्त में मिठास का प्रहरी

स्वस्थ लक्षण व देखभाल:

दिनभर स्थिर ऊर्जा, मीठे की तीव्र craving न होना, और पेट भरा-भरा महसूस होना—ये स्वस्थ पैंक्रियास की निशानी हैं। कम चीनी, फाइबर युक्त आहार और नियमित भोजन मदद करते हैं।

डॉक्टर से कब मिलें:

बार-बार प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, धुंधली दृष्टि या वजन घटाना—ये डायबिटीज़ के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।

  1. पेट और आंतें: शरीर का दूसरा मस्तिष्क

स्वस्थ लक्षण व देखभाल:

अगर खाना पचता है, पेट हल्का रहता है और मल नियमित है, तो पाचन अच्छा है। धीरे-धीरे खाना, खमीरयुक्त भोजन और दही जैसी चीज़ें आंतों को मजबूत बनाती हैं।

डॉक्टर से कब मिलें:

लगातार गैस, कब्ज़, पेट में भारीपन या जलन—ये आपके पाचनतंत्र की शिकायत हो सकती हैं।

  1. मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र: नियंत्रण का केंद्र

स्वस्थ लक्षण व देखभाल:

अगर मन साफ सोचता है, याददाश्त ठीक है और नींद गहरी आती है, तो तंत्रिका तंत्र संतुलित है। किताबें पढ़ना, ध्यान, समय पर सोना, और संवाद से मस्तिष्क सक्रिय रहता है।

डॉक्टर से कब मिलें:

सिरदर्द, भूलने की आदत, मन में घबराहट या नींद की परेशानी—ये संकेत हैं कि आपको मानसिक रूप से विश्राम और मार्गदर्शन की ज़रूरत है।

  1. रक्त और परिसंचरण तंत्र: जीवन की धारा

स्वस्थ लक्षण व देखभाल:

ऊर्जावान शरीर, त्वचा में चमक और चोटों का जल्दी भरना रक्त की गुणवत्ता को दर्शाता है। आयरन से भरपूर भोजन, व्यायाम और जल सेवन इसमें मदद करते हैं।

डॉक्टर से कब मिलें:

लगातार थकान, चक्कर आना, हाथ-पांव ठंडे रहना—ये रक्त की कमी या अन्य समस्या की ओर इशारा कर सकते हैं।

  1. हड्डियाँ और जोड़: मजबूती की नींव

स्वस्थ लक्षण व देखभाल:

अगर आप आसानी से चल-फिर सकते हैं, जोड़ों में दर्द नहीं होता और शरीर सीधा रहता है, तो हड्डियाँ स्वस्थ हैं। कैल्शियम, विटामिन डी, धूप, और हल्का वजन उठाना हड्डियों के लिए लाभदायक है।

डॉक्टर से कब मिलें:

जोड़ों में अकड़न, पीठ दर्द या लंबाई घटती प्रतीत हो तो हड्डियों की जांच आवश्यक है।

निष्कर्ष: एक आत्मीय यात्रा

स्वास्थ्य कोई मंज़िल नहीं—यह अपने शरीर से एक प्रेमपूर्ण रिश्ता है।

जब हम अपने भीतर की हलचलों को सुनना शुरू करते हैं, तो हम स्वयं के प्रति अधिक सजग और दयालु बनते हैं। इस लेख के माध्यम से आपका शरीर आपको कह रहा है—“मुझे पहचानो, मुझसे प्यार करो।”

खुशी से खाइए, मन से चलिए, चैन से सोइए, और ज़रूरत हो तो चिकित्सक को सलाहकार बनाइए—डर के नहीं, भरोसे के साथ!

अस्वीकरण:

यह लेख सामान्य स्वास्थ्य जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। कृपया किसी भी दवा, जांच या उपचार से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

© जगत सिंह बिष्ट

LifeSkills

A Pathway to Authentic Happiness, Well-Being & A Fulfilling Life! We teach skills to lead a healthy, happy and meaningful life.

The Science of Happiness (Positive Psychology), Meditation, Yoga, Spirituality and Laughter Yoga. We conduct talks, seminars, workshops, retreats and training.

Please feel free to call/WhatsApp us at +917389938255 or email [email protected] if you wish to attend our program or would like to arrange one at your end.

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’≈

Please share your Post !

Shares
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments